लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान देशभर के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को राज्य वापस लाया जा रहा है. ये प्रवासी मजदूर बस और ट्रेन से आ रहे हैं. जबकि राज्य के कई प्रवासी मजदूर देश के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में फंसे हुए हैं. ये मजदूर ट्रेन या बस से नहीं आ सकते हैं. इसीलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृहमंत्री अमित शाह को ऐसे प्रवासी मजदूरों को एयरलिफ्ट कराने को लेकर पत्र लिखा है.
मुख्यमंत्री सोरेन ने पत्र में लिखा है कि जैसा कि हम लोग जानते हैं कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से कोरोना संकट के मद्देनजर पूर देश में 31 मई तक लॉकडाउन है. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां रुक सी गई हैं. प्रवासी मजदूर घर लौट रहे हैं. और यहां इनके पास किसी तरह का कोई रोजगार नहीं है. झारखंड से काफी संख्या में प्रवासी मजदूर देश भर में अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं. वे झारखंड अपने घर आना चाहते हैं. मैंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि इस सभी दूसरे राज्यों में फंसे हुए मजदूरों और दूसरे लोगों को झारखंड वापस लाने की सुविधा दी जाए. आग्रह स्वीकार होने के बाद करीब 1.50 लाख प्रवासी मजदूर, स्टूडेंट और दूसरे लोग बसों या ट्रेनों से वापस आ सके हैं.
प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के दौरान यह जानकारी मिली है कि करीब 200 मजदूर लद्दाख और करीब 450 मजदूर नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए हैं. फंसे हुए प्रवासी मजदूर लगातार झारखंड सरकार से फोन पर संपर्क कर रहे हैं और वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से बस या ट्रेनों से इन्हें वापस ला पाना बेहद मुश्किल है. इन्हें वापस लाने का सबसे बेहतर उपाय एयरलिफ्ट करना ही है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से हवाई जहाज के आवागमन पर पाबंदी है. इसका उल्लेख केंद्रीय गृह विभाग की अधिसूचना में स्पष्ट है.
इन कठिनाईयों की वजह से मैं आपसे आग्रह करना हूं कि लेह-लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट से मजदूरों को लाने के लिए एयरलिफ्ट कराकर राज्य तक पहुंचाने की अनुमति दी जाए. इससे पहले 12 मई को भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को अंडमान-निकोबार से एयरलिफ्ट के जरिए लाने के लिए आग्रह किया गया था. लेकिन अभी तक मंत्रालय की तरफ से राज्य सरकार को कोई जानकारी नहीं दी गई है.
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