नई दिल्ली:
आजादी के 70 साल के जश्न को मनाने के लिए देश के साथ संसद भवन भी तैयार है. इस मौके पर संसद के हर कोने को रोशन करने की परंपरा पुरानी रही है, लेकिन समय बदलने के साथ इस परंपरा को बनाए रखने के तौर-तरीके भी बदले हैं.
साल 1950 से ही वर्ष में दो मौकों (गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस) पर सभी सरकारी बिल्डिंगों की तरह संसद भवन को भी जगमगाते बल्बों से रोशन किया जाता है. इसके लिए 22 हजार बल्बों का इस्तेमाल किया जाता है और हर बल्ब 25 वाट का होता है.
संसद भवन इस तरह से 5-7 दिन तक रोशन रहता है. करीब 48 घंटे या दो दिन का समय तो यही जांच करने में लग जाता है कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है. हर साल यह रोशनी सांझ ढलने से अगले 4 घंटे तक की जाती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बिजली बचाने के अभियान' के तहत पिछले साल लोकसभा सचिवालय से कहा था कि वे ऐसे रास्ते खोजें, जिससे इस रोशनी के बिल में कमी लाई जा सके.
आखिर पीएम मोदी की अपील काम आई और लोकसभा अध्यक्ष की निर्देश पर इस साल ज्यादा बिजली की खपत करने वाले पीले बल्बों के स्थान पर संसद भवन को चमकदार रोशनी वाले LED बल्बों से रोशन किया गया है.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संसद भवन को रोशन करने के लिए इस बार 24 हजार LED बल्बों का इस्तेमाल लिया गया है और इनकी रोशनी पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा है. एलईडी ज्यादा लंबे समय तक भी चलते हैं, अब तक हर साल लगभग 15 फीसद बल्ब खराब हो जाते थे. यही नहीं हर एक LED बल्ब पारंपरिक बल्ब से करीब 8 गुना कम बिजली की खपत करता है.
इसलिए 12 से 18 अगस्त तक इस रोशनी से पिछले सालों के मुकाबले काफी बचत होगी. लोकसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हर साल इस दौरान 32 घंटे रोशनी करने में 500 किलोवाट बिजली की खपत होती थी. इस बार यह 8 गुना कम होगी.'
इस पूरी कवायद से भारत में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन में अकेले इस रोशनी के लिए आने वाले बिजली के बिल में 1.10 लाख रुपये की कमी आने की उम्मीद है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'LED बल्ब काफी बिजली बचाते हैं. ये बिजली की खपत कम करते हैं और इनकी सेल्फ लाइफ भी ज्यादा होती है. इसलिए उन्हें आम बल्बों की बजाय ज्यादा सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है.'
यह परिवर्तन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा संसद को और अधिक पर्यावरण अनुकूल जगह बनाने के लिए किए जा रहे बड़े प्रयासों का एक हिस्सा है. लंबे समय के बाद बिजली की बचत के वास्ते रास्ते तलाशने के लिए एक ऊर्जा लेखा परीक्षा के आदेश दिए गए हैं.
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एनडीटीवी से कहा, 'एलईडी अंतिम कोशिश नहीं पहला कदम है. पूरे संसद परिसर का हम एनर्जी ऑडिट करवा रहे हैं. कोशिश होगी कि बिजली बचाने का हर तरीका यहां अपनाया जाए.'
नई पार्लियामेंट एनेक्सी बिल्डिंग हर लिहाज से पर्यावरण अनुकूल है. यहां वाटर रिसाइकलिंग, वर्षा जल संचयन और सौर ऊर्जा इकाईयां भी हैं.
साल 1950 से ही वर्ष में दो मौकों (गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस) पर सभी सरकारी बिल्डिंगों की तरह संसद भवन को भी जगमगाते बल्बों से रोशन किया जाता है. इसके लिए 22 हजार बल्बों का इस्तेमाल किया जाता है और हर बल्ब 25 वाट का होता है.
संसद भवन इस तरह से 5-7 दिन तक रोशन रहता है. करीब 48 घंटे या दो दिन का समय तो यही जांच करने में लग जाता है कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है. हर साल यह रोशनी सांझ ढलने से अगले 4 घंटे तक की जाती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बिजली बचाने के अभियान' के तहत पिछले साल लोकसभा सचिवालय से कहा था कि वे ऐसे रास्ते खोजें, जिससे इस रोशनी के बिल में कमी लाई जा सके.
आखिर पीएम मोदी की अपील काम आई और लोकसभा अध्यक्ष की निर्देश पर इस साल ज्यादा बिजली की खपत करने वाले पीले बल्बों के स्थान पर संसद भवन को चमकदार रोशनी वाले LED बल्बों से रोशन किया गया है.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संसद भवन को रोशन करने के लिए इस बार 24 हजार LED बल्बों का इस्तेमाल लिया गया है और इनकी रोशनी पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा है. एलईडी ज्यादा लंबे समय तक भी चलते हैं, अब तक हर साल लगभग 15 फीसद बल्ब खराब हो जाते थे. यही नहीं हर एक LED बल्ब पारंपरिक बल्ब से करीब 8 गुना कम बिजली की खपत करता है.
इसलिए 12 से 18 अगस्त तक इस रोशनी से पिछले सालों के मुकाबले काफी बचत होगी. लोकसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हर साल इस दौरान 32 घंटे रोशनी करने में 500 किलोवाट बिजली की खपत होती थी. इस बार यह 8 गुना कम होगी.'
इस पूरी कवायद से भारत में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन में अकेले इस रोशनी के लिए आने वाले बिजली के बिल में 1.10 लाख रुपये की कमी आने की उम्मीद है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'LED बल्ब काफी बिजली बचाते हैं. ये बिजली की खपत कम करते हैं और इनकी सेल्फ लाइफ भी ज्यादा होती है. इसलिए उन्हें आम बल्बों की बजाय ज्यादा सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है.'
यह परिवर्तन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा संसद को और अधिक पर्यावरण अनुकूल जगह बनाने के लिए किए जा रहे बड़े प्रयासों का एक हिस्सा है. लंबे समय के बाद बिजली की बचत के वास्ते रास्ते तलाशने के लिए एक ऊर्जा लेखा परीक्षा के आदेश दिए गए हैं.
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एनडीटीवी से कहा, 'एलईडी अंतिम कोशिश नहीं पहला कदम है. पूरे संसद परिसर का हम एनर्जी ऑडिट करवा रहे हैं. कोशिश होगी कि बिजली बचाने का हर तरीका यहां अपनाया जाए.'
नई पार्लियामेंट एनेक्सी बिल्डिंग हर लिहाज से पर्यावरण अनुकूल है. यहां वाटर रिसाइकलिंग, वर्षा जल संचयन और सौर ऊर्जा इकाईयां भी हैं.
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