बिहार पुलिस धमाकों को लेकर पहले ही सवालों में घिरी हुई है, वहीं साझा खुफिया कमेटी की रिपोर्ट ने बिहार की तार−तार सुरक्षा की हकीकत उजागर कर दी है। एनडीटीवी इंडिया को मिली एक रिपोर्ट बिहार की अच्छी कानून−व्यवस्था और सुशासन की कलई खोलती है।
पटना में हुए धमाकों को लेकर कई सवालों के जवाब बिहार पुलिस के पास नहीं हैं। लेकिन अब उसे और भी कई सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं।
जेआईसी यानी साझा खुफिया कमेटी की वह रिपोर्ट एनडीटीवी इंडिया के हाथ लगी है जो सीधे प्रधानमंत्री को भेजी गई है।
रिपोर्ट में बिहार की कानून−व्यवस्था पर बहुत सख्त टिप्पणियां हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में हिंसा घटी है, लेकिन बिहार में 41 फ़ीसदी बढ़ गई है।
पूरे देश में आबादी के मुकाबले पुलिस बल का अनुपात बिहार में सबसे कम है। पूरे देश में 10 हजार लोगों पर 137 पुलिसवाले हैं, लेकिन बिहार में सिर्फ 65 पुलिस कर्मी ही हैं।
राज्य के 38 में से 32 ज़िलों में नक्सलवाद का असर है और 16 ज़िले बुरी तरह नक्सली हिंसा की चपेट में हैं। समेकित राष्ट्रीय विकास योजना के तहत दिए गए पैसों का वहां इस्तेमाल नहीं हो रहा।
चंपारण में 1480 योजनाएं ली गईं, पूरी एक भी नहीं हुई। जबकि मुंगेर और कैमूर में फंड का कतई इस्तेमाल नहीं हुआ।
हालांकि राज्य सरकार का कहना है वह जल्द ही अपना एटीएस बनाने जा रही है।
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