चेन्नई:
कथित रूप से श्रीलंकाई कोस्टगार्ड्स अधिकारियों द्वारा किए गए हमले में पुदुच्चेरी के चार मछुआरे घायल हुए हैं, और उनका आरोप है कि श्रीलंकाई अधिकारियों ने उनकी आंखों में मिर्च झोंकी, उन्हें मारा-पीटा, और लगभग 15 लाख रुपये के उनके उपकरण समुद्र में फेंक दिए।
दरअसल, कराईकल के रहने वाले पांच मछुआरे 2 मार्च को फाइबरग्लास से बनी नाव में सवार होकर समुद्र में गए थे, और गुरुवार रात को वे रामेश्वरम से करीब 200 किलोमीटर दूर कोडियाकराई तट पर मछलियां पकड़ रहे थे, तभी कथित रूप से श्रीलंकाई कोस्टगार्ड्स अधिकारियों ने उन पर हमला कर दिया। मछुआरों का कहना है कि श्रीलंकाई अधिकारी सफेद रंग की नावों में सवार होकर आए थे, और उन्होंने उन्हें घेरकर हमला किया।
घायल मछुआरों में से एक चंद्रकुमार ने बताया, "उन्होंने (श्रीलंकाई कोस्टगार्ड्स अधिकारियों ने) हमारा ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपकरण, वॉकी-टॉकी और ईको साउंडर भी जब्त कर लिया। उन्होंने हमारे सारे जाल भी काट दिए। हमारी नाव में कुछ भी नहीं था, और हम 15 लाख रुपये के उपकरण गंवा बैठे हैं।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुरुवार को लिखे एक पत्र में भारतीय मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसैनिकों के कथित हमले और गोलीबारी की घटना पर कहा था कि इन घटनाओं का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस विषय को उठाए जाने से भारत को डराना और धौंस जमाना है।
जयललिता ने कहा था कि मछुआरों की गिरफ्तारी और इन पर हुई ताजा गोलीबारी को श्रीलंका की एक ऐसी अप्रत्यक्ष कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिसका लक्ष्य भारत को बेकसूर तमिलों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर श्रीलंका के खिलाफ आवाज नहीं उठाने के लिए डराना और धौंस जमाना है। उन्होंने कहा था कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा था, "भारत सरकार को मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए।" जयललिता ने श्रीलंकाई नौसैनिकों द्वारा तमिलनाडु और पुदुच्चेरी के मछुआरों पर गोलीबारी तथा रविवार को तूतीकोरिन में 16 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिए जाने की घटना का हवाला देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को इस बारे में नसीहत दी जानी चाहिए कि वह बेकसूर भारतीय मछुआरों के खिलाफ बलप्रयोग से बचे, जो सदियों से अपने पारंपरिक जल क्षेत्र में मछली पकड़ रहे हैं।
पत्र में जयललिता ने आरोप लगाया था कि श्रीलंकाई नौसैनिकों ने मछुआरों के खिलाफ अत्याचार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोलीबारी की ताजा घटना स्पष्ट संकेत देती है कि श्रीलंकाई नौसैनिक शांतिपूर्वक तरीके से आजीविका चला रहे तमिलनाडु के मछुआरों के बीच दहशत, डर और तनाव का माहौल पैदा करना चाहते हैं।
दरअसल, कराईकल के रहने वाले पांच मछुआरे 2 मार्च को फाइबरग्लास से बनी नाव में सवार होकर समुद्र में गए थे, और गुरुवार रात को वे रामेश्वरम से करीब 200 किलोमीटर दूर कोडियाकराई तट पर मछलियां पकड़ रहे थे, तभी कथित रूप से श्रीलंकाई कोस्टगार्ड्स अधिकारियों ने उन पर हमला कर दिया। मछुआरों का कहना है कि श्रीलंकाई अधिकारी सफेद रंग की नावों में सवार होकर आए थे, और उन्होंने उन्हें घेरकर हमला किया।
घायल मछुआरों में से एक चंद्रकुमार ने बताया, "उन्होंने (श्रीलंकाई कोस्टगार्ड्स अधिकारियों ने) हमारा ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपकरण, वॉकी-टॉकी और ईको साउंडर भी जब्त कर लिया। उन्होंने हमारे सारे जाल भी काट दिए। हमारी नाव में कुछ भी नहीं था, और हम 15 लाख रुपये के उपकरण गंवा बैठे हैं।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुरुवार को लिखे एक पत्र में भारतीय मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसैनिकों के कथित हमले और गोलीबारी की घटना पर कहा था कि इन घटनाओं का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस विषय को उठाए जाने से भारत को डराना और धौंस जमाना है।
जयललिता ने कहा था कि मछुआरों की गिरफ्तारी और इन पर हुई ताजा गोलीबारी को श्रीलंका की एक ऐसी अप्रत्यक्ष कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिसका लक्ष्य भारत को बेकसूर तमिलों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर श्रीलंका के खिलाफ आवाज नहीं उठाने के लिए डराना और धौंस जमाना है। उन्होंने कहा था कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा था, "भारत सरकार को मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए।" जयललिता ने श्रीलंकाई नौसैनिकों द्वारा तमिलनाडु और पुदुच्चेरी के मछुआरों पर गोलीबारी तथा रविवार को तूतीकोरिन में 16 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिए जाने की घटना का हवाला देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को इस बारे में नसीहत दी जानी चाहिए कि वह बेकसूर भारतीय मछुआरों के खिलाफ बलप्रयोग से बचे, जो सदियों से अपने पारंपरिक जल क्षेत्र में मछली पकड़ रहे हैं।
पत्र में जयललिता ने आरोप लगाया था कि श्रीलंकाई नौसैनिकों ने मछुआरों के खिलाफ अत्याचार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोलीबारी की ताजा घटना स्पष्ट संकेत देती है कि श्रीलंकाई नौसैनिक शांतिपूर्वक तरीके से आजीविका चला रहे तमिलनाडु के मछुआरों के बीच दहशत, डर और तनाव का माहौल पैदा करना चाहते हैं।
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