भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू के राज्यव्यापी आंदोलन के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तर्ज पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 24 घंटे का सत्याग्रह और उपवास पटना स्थित जदयू मुख्यालय में आज सुबह से शुरू हो गया।
जदयू के प्रदेश मुख्यालय आज सुबह पहुंचे नीतीश योग और स्नान करने के बाद भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ सत्याग्रह और उपवास पर बैठ गए।
इस सत्याग्रह और उपवास कार्यक्रम में नीतीश का साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, राज्य के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी, श्याम रजक, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, जदयू के राज्यसभा सदस्य अली अनवर, हरिवंश, गुलाम रसूल बलियावी और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय झा सहित पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता दे रहे हैं।
इस अवसर पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि सत्याग्रह और उपवास का उद्देश्य केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों के हृदय को झकझोरना है जो कि कृषि पर निर्भर देश की तीन चौथाई आबादी की आजीविका छीन लेना चाहते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश भूमि अधिग्रहण विधेयक के किसान विरोधी और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में होने का दावा करते हुए कहा कि इस विधेयक को जब तक वापस लिया नहीं जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
संसद में पेश भूमि अधिग्रहण विधेयक को ‘काला कानून’ और किसान विरोधी बताते हुए उसे तुरंत वापस लिए जाने की मांग करने वाले नीतीश शाम चार बजे मीडिया से मुखातिब होंगे। उन्होंने पूर्व में आरोप लगाया था कि इस विधेयक से ऐसा लगता है कि वर्ष 2013 में संप्रग सरकार द्वारा तैयार भूमि अधिग्रहण विधेयक की आत्मा को निकाल लिया गया है।
नीतीश ने घोषणा की है कि इस विधेयक को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर गांधीवादी अन्ना हजारे के दिल्ली में आयोजित धरना का समर्थन किया था।
भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में जदयू के विधायक और कार्यालय पदधारकों द्वारा बिहार के विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों में 12 घंटे का आज सत्याग्रह और उपवास किया जा रहा है।
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