बैंकॉक के सुखोथाई होटल में एनडीटीवी से बात करते ललित मोदी...
बैंकॉक:
आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी आजकल बैंकॉक में हैं. यहां के सुखोथाई होटल की शानदार लॉन में NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा कि न्याय के लिए 8 साल तक चली लंबी लड़ाई उन्होंने जीत ली है. इसी हफ्ते इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की भारत की अपील ठुकरा दी थी और अपने डाटाबेस से ललित मोदी से जुड़े सारे रिकॉर्ड मिटा दिए. हालांकि पूर्व आईपीएल कमिश्नर ने इस बात से इनकार कर दिया कि उन्होंने इंटरपोल के पूर्व अधिकारियों के नेटवर्क की मदद से अपने पक्ष में ये फैसला करवाया. उनके करीबी मित्रों में इंटरपोल के पूर्व प्रमुख रॉन नोबल और इंटरपोल के पूर्व कानूनी सलाहकार रसेल मारथा शामिल हैं.
ललित मोदी ने कहा कि उन्हें इंटरपोल जजों के ऐसे स्वतंत्र कमिशन से क्लीन चिट मिली है, जिन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता. NDTV से इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैंने पूर्व इंटरपोल अधिकारियों को कानून समझने के लिए नियुक्त किया था न कि एजेंसी को प्रभावित करने के लिए. हालांकि मोदी को अब भी अपने खिलाफ भारत में आरोपों का सामना करना होगा, जिनमें से सबसे गंभीर आरोप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगाया है, जिसके अनुसार ललित मोदी ने इंडियन प्रीमियर लीग के अधिकारों के स्थानांतरण के समय 125 करोड़ रुपये की बेईमानी की थी. ललित मोदी प्रवर्तन निदेशालय को 'जोकर' बताते हैं, जिसके द्वारा औपचारिक रूप से आरोप दायर किया जाना बाकी है. यह पूछे जाने पर कि आखिर कैसे वह अपनी शानादार जीवनशैली को बनाए रखते हैं तो वह भड़क जाते हैं.
अपने पारिवारिक व्यवसाय का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, आपको केके मोदी ग्रुप की कीमत का पता भी है?
वर्तमान में पारिवारिक व्यवसाय में मोदी के पास कोई भी कार्यकारी पद नहीं है. ललित मोदी कहते हैं, मैं मुंह में हीरे की चम्मच लिए पैदा हुआ था और मेरी जीवनशैली हमेशा से शानदार रही है. वह कहते हैं, नेताओं से पूछिए कि उनका पैसा कहां से आ रहा है.' उनका कहना है कि चूंकि मैं दिल्ली के एकमात्र औद्योगिक घराने से हूं, इसलिए मुझे पैसे का स्रोत पता है.'
ललित मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. वह कहते हैं कि भारत सरकार की तरफ उनका झुकाव पीएम मोदी की भ्रष्टाचार के प्रति सख्त छवि को नुकसान नहीं पहुंचाता. अगर मैं खुद को बचाता हूं तो इससे भारत सरकार को क्यों बदनाम होना चाहिए? साथ ही वह जोड़ते हुए कहते हैं कि उन्हें कभी भी प्रधानमंत्री के सामने अपना पक्ष स्पष्ट करने का मौका नहीं मिला.
उन्होंने स्वीकार किया कि उनके और अरुण जेटली के बीच तब से 'निजी दुश्मनी' है, जबसे वित्त मंत्री ने बीसीसीआई में अपने कार्यकाल के दौरान मोदी के खिलाफ कथित रूप से कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की थी. ललित मोदी दावा करते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि उन्होंने अरुण जेटली के डीडीसीए प्रेसिडेंट रहने के दौरान कथित वित्तीय अनियमितताओं का मामला उठाया था, लेकिन एक बार फिर उन्होंने अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई भी सबूत देने से इनकार कर दिया.
वह कहते हैं कि प्रतिशोधात्मक कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक व्यवस्था के डर से भारत आने के लिए अनिच्छुक हैं.
ललित मोदी ने कहा कि उन्हें इंटरपोल जजों के ऐसे स्वतंत्र कमिशन से क्लीन चिट मिली है, जिन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता. NDTV से इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैंने पूर्व इंटरपोल अधिकारियों को कानून समझने के लिए नियुक्त किया था न कि एजेंसी को प्रभावित करने के लिए. हालांकि मोदी को अब भी अपने खिलाफ भारत में आरोपों का सामना करना होगा, जिनमें से सबसे गंभीर आरोप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगाया है, जिसके अनुसार ललित मोदी ने इंडियन प्रीमियर लीग के अधिकारों के स्थानांतरण के समय 125 करोड़ रुपये की बेईमानी की थी. ललित मोदी प्रवर्तन निदेशालय को 'जोकर' बताते हैं, जिसके द्वारा औपचारिक रूप से आरोप दायर किया जाना बाकी है. यह पूछे जाने पर कि आखिर कैसे वह अपनी शानादार जीवनशैली को बनाए रखते हैं तो वह भड़क जाते हैं.
अपने पारिवारिक व्यवसाय का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, आपको केके मोदी ग्रुप की कीमत का पता भी है?
वर्तमान में पारिवारिक व्यवसाय में मोदी के पास कोई भी कार्यकारी पद नहीं है. ललित मोदी कहते हैं, मैं मुंह में हीरे की चम्मच लिए पैदा हुआ था और मेरी जीवनशैली हमेशा से शानदार रही है. वह कहते हैं, नेताओं से पूछिए कि उनका पैसा कहां से आ रहा है.' उनका कहना है कि चूंकि मैं दिल्ली के एकमात्र औद्योगिक घराने से हूं, इसलिए मुझे पैसे का स्रोत पता है.'
ललित मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. वह कहते हैं कि भारत सरकार की तरफ उनका झुकाव पीएम मोदी की भ्रष्टाचार के प्रति सख्त छवि को नुकसान नहीं पहुंचाता. अगर मैं खुद को बचाता हूं तो इससे भारत सरकार को क्यों बदनाम होना चाहिए? साथ ही वह जोड़ते हुए कहते हैं कि उन्हें कभी भी प्रधानमंत्री के सामने अपना पक्ष स्पष्ट करने का मौका नहीं मिला.
उन्होंने स्वीकार किया कि उनके और अरुण जेटली के बीच तब से 'निजी दुश्मनी' है, जबसे वित्त मंत्री ने बीसीसीआई में अपने कार्यकाल के दौरान मोदी के खिलाफ कथित रूप से कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की थी. ललित मोदी दावा करते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि उन्होंने अरुण जेटली के डीडीसीए प्रेसिडेंट रहने के दौरान कथित वित्तीय अनियमितताओं का मामला उठाया था, लेकिन एक बार फिर उन्होंने अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई भी सबूत देने से इनकार कर दिया.
वह कहते हैं कि प्रतिशोधात्मक कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक व्यवस्था के डर से भारत आने के लिए अनिच्छुक हैं.
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