मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐलान कर दिया. राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कई खंड लागू नहीं होंगे. सिर्फ खंड एक बचा रहेगा. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया. वहीं उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बड़ा बयान दिया है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि मैं सरकार के इस फैसले का समर्थन करता हूं. अब हम उम्मीद करते हैं कि सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के साथ-साथ विकास कार्यों पर जोर दिया जाएगा. अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट पर कुमार विश्वास ने तंज कसा.
अपनी यूनियन टैरिटरी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के असंभव ख़्वाब देखने वाले आत्ममुग्ध बौने को भी एक पूर्ण राज्य के यूनियन टैरिटरी में बदलने के प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ रहा है इसी को “खुदाई-जूता” कहते हैं जो लगता भी है और रोने भी नहीं देता चलो जलेबी खाओ #KashmirHamaraHai pic.twitter.com/VG3bzmlYgQ
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 5, 2019
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कुमार विश्वास (Kumar vishwas) ने अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना ट्वीट किया, 'अपनी यूनियन टैरिटरी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के असंभव ख्वाब देखने वाले आत्ममुग्ध बौने को भी एक पूर्ण राज्य के यूनियन टैरिटरी में बदलने के प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ रहा है, इसी को 'खुदाई-जूता' कहते हैं जो लगता भी है और रोने भी नहीं देता. चलो जलेबी खाओ.
भारतमाता के माथे की पुरातन पीर हरने के लिए सरकार का आभार ! हर नागरिक से अनुरोध है कि दशकों से लम्बित इस शल्यक्रिया के दौरान देश के साथ रहें ! ये ऐतिहासिक क्षण हैं????????
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 5, 2019
“दर्द कहाँ तक पाला जाए,
युद्ध कहाँ तक टाला जाए,
तू भी है राणा का वंशज,
फेंक जहाँ तक भाला जाए”#KashmirParFinalFight
इससे पहले भी उन्होंने अनुच्छेद 370 के खत्म होने पर ट्वीट किया था. कवि डॉ. कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने ट्वीट किया. 'भारतमाता के माथे की पुरातन पीर हरने के लिए सरकार का आभारा! हर नागरिक से अनुरोध है कि दशकों से लंबित इस शल्यक्रिया के दौरान देश के साथ रहें! ये ऐतिहासिक क्षण है. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि हम सब नागरिकों की ज़िम्मेदारी है कि हम सतर्क रहे, सार्वजनिक जगहों पर अधिक एकत्र न हों ! अतिउत्साह में प्रदर्शन आदि न करें ! इस ऐतिहासिक पल के शांतिपूर्ण तरीक़े से संपादित होने की ज़िम्मेदारी हम सब की भी है.
We support the govt on its decisions on J & K. We hope this will bring peace and development in the state.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 5, 2019
बता दें कि इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने ट्वीट किया था, 'मैं सरकार के इस फैसले का समर्थन करता हूं. अब हम उम्मीद करते हैं कि सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के साथ-साथ विकास कार्यों पर जोर दिया जाएगा.'
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वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य से धारा 370 खत्म किए जाने का विरोध किया और कहा, 'आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का स्याह दिन है. अनुच्छेद 370 निरस्त करने का भारत सरकार का एकतरफा फैसला गैर कानूनी, असंवैधानिक है. जम्मू-कश्मीर में भारत संचालन बल बन जाएगा. अनुच्छेद 370 पर उठाया गया कदम उपमहाद्वीप के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आएगा, वे जम्मू-कश्मीर के लोगों को आतंकित कर इस क्षेत्र पर अधिकार चाहते हैं. भारत कश्मीर के साथ किये गए वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है.'
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क्या है धारा 370? जानिए इसके बारे में सबकुछ
आर्टिकल 370 है क्या और इसके हटाने के क्या मायने है? धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
- जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
- कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
- कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
- धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
VIDEO: जम्मू-कश्मीर से हटाई गई धारा 370
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