केपीएस गिल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जाने-माने अफसर केपीएस गिल का निधन हो गया है. वह 82 साल के थे. वह लंबे समय से डायलिसिस पर थे. दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उनका निधन हुआ. पंजाब के पूर्व डीजीपी गिल पंजाब में आतंकवाद के दौर में मशहूर हुए. पंजाब में आतंकवाद को खत्म करने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. वह भारतीय हॉकी संघ के अध्यक्ष भी रहे.
पंजाब में जब उग्रवाद अपने चरम पर था, उस दौरान दो बार प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे. गिल को सुरक्षा मामलों में बेहद अनुभवी माना जाता था. यहां तक कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी छत्तीसगढ़ और गुजरात सरकारों ने उनकी सेवा ली थी.
गिल असम के भी पुलिस महानिदेशक रहे हैं. पुलिस सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद श्रीलंका ने वर्ष 2000 में लिट्टे के खिलाफ जंग के दौरान उनके अनुभवों का लाभ लिया था.
सुरक्षा मामलों में महारत रखने वाले इस पुलिस अफसर ने आज दोपहर 2:55 पर सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली. गुर्दा संबंधी परेशानी के कारण वह 18 मई से अस्पताल में भर्ती थे.
नेफ्रोलॉजी विभाग और अस्पताल के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर डी. एस. राणा ने कहा, 'उनके गुर्दे ने लगभग काम करना बंद कर दिया था और हृदय तक रक्तापूर्ति में दिक्कत आ रही थी. गिल की हालत में कुछ सुधार हो रहा था लेकिन हृदयगति में असमानता के कारण अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य राजनीतिक दलों और अन्य क्षेत्र के लोगों ने गिल के निधन पर शोक व्यक्त किया है. असम की एक दिवसीय यात्रा पर गये मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘केपीएस गिल को पुलिसिंग और सुरक्षा क्षेत्र में उनकी देश सेवा के लिए याद किया जाएगा. उनके निधन से बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं.’’
स्पष्टवादी और आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले साहसी पुलिस अफसर गिल 1988 से 1990 तक और फिर 1991 से 1995 में अपनी सेवानिवृति तक पंजाब के पुलिस प्रमुख रहे.
उन्हें पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद की कमर तोड़ने और अंतत: उसे जड़ से उखाड़ने का श्रेय जाता है.
गिल की सबसे बड़ी उपलब्धि मई 1988 में उनके नेतृत्व में हुए ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ को माना जाता है. इस अभियान के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छुपे उग्रवादियों पर कार्रवाई की गयी थी. यह अभियान बेहद सफल रहा था, क्योंकि इस अभियान के दौरान 1984 के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के मुकाबले गुरुद्वारे को बहुत कम नुकसान पहुंचा था. ऑपरेशन ब्लैक थंडर में करीब 67 सिख आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण किया था और 43 मारे गये थे.
गिल के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान पंजाब पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघनों के कई आरोप लगे. वहीं गुजरात के 2002 दंगों के बाद केपीएस गिल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. दंगों के करीब दो महीने बाद नियुक्त हुए गिल ने पंजाब से विशेष रूप से प्रशिक्षित दंगा-निरोधी 1,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती का अनुरोध किया था. उन्हें हिंसा पर काबू पाने का श्रेय दिया जाता है.
नक्सलवादियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया. हालांकि उनका यह कार्यकाल पंजाब जैसा सफल नहीं रहा क्योंकि 2007 में नक्सल हमले में 55 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे.
गिल कई वर्षों तक भारतीय हॉकी फेडरेशन के प्रमुख भी रहे. हालांकि उनका यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा. इस दौरान 2008 में फेडरेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके बाद इंडियन ओलिंपिंक एसोसिएशन ने फेडरेशन को निलंबित कर दिया था.
गिल भारतीय पुलिस सेवा के 1958 बैच के असम और मेघालय कैडर के अधिकारी थे. उन्हें प्रतिनियुक्ति पर पंजाब भेजा गया था.
वहीं लुधियाना में कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने गिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने पंजाब को उग्रवाद के चंगुल से बचाया है. गिल की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए बिट्टू ने याद किया कि कैसे उनके दादाजी पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने साथ मिलकर प्रदेश से आतंकवाद को खत्म किया था.
पंजाब भाजपा के प्रमुख विजय सांपला ने कहा, ‘‘मैं गिल के निधन की सूचना से बहुत दुखी हूं.’’ केन्द्रीय मंत्री सांपला ने कहा, ‘‘वह अपनी बहादुरी और साहस के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया और लोगों को प्रेरित किया.’’ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी पद्मश्री से सम्मानित पुलिस अफसर गिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.
(इनपुट भाषा से...)
पंजाब में जब उग्रवाद अपने चरम पर था, उस दौरान दो बार प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे. गिल को सुरक्षा मामलों में बेहद अनुभवी माना जाता था. यहां तक कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी छत्तीसगढ़ और गुजरात सरकारों ने उनकी सेवा ली थी.
गिल असम के भी पुलिस महानिदेशक रहे हैं. पुलिस सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद श्रीलंका ने वर्ष 2000 में लिट्टे के खिलाफ जंग के दौरान उनके अनुभवों का लाभ लिया था.
सुरक्षा मामलों में महारत रखने वाले इस पुलिस अफसर ने आज दोपहर 2:55 पर सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली. गुर्दा संबंधी परेशानी के कारण वह 18 मई से अस्पताल में भर्ती थे.
नेफ्रोलॉजी विभाग और अस्पताल के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर डी. एस. राणा ने कहा, 'उनके गुर्दे ने लगभग काम करना बंद कर दिया था और हृदय तक रक्तापूर्ति में दिक्कत आ रही थी. गिल की हालत में कुछ सुधार हो रहा था लेकिन हृदयगति में असमानता के कारण अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य राजनीतिक दलों और अन्य क्षेत्र के लोगों ने गिल के निधन पर शोक व्यक्त किया है. असम की एक दिवसीय यात्रा पर गये मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘केपीएस गिल को पुलिसिंग और सुरक्षा क्षेत्र में उनकी देश सेवा के लिए याद किया जाएगा. उनके निधन से बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं.’’
KPS Gill will be remembered for his service to our nation in the fields of policing & security. Pained by his demise. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 26, 2017
स्पष्टवादी और आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले साहसी पुलिस अफसर गिल 1988 से 1990 तक और फिर 1991 से 1995 में अपनी सेवानिवृति तक पंजाब के पुलिस प्रमुख रहे.
उन्हें पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद की कमर तोड़ने और अंतत: उसे जड़ से उखाड़ने का श्रेय जाता है.
गिल की सबसे बड़ी उपलब्धि मई 1988 में उनके नेतृत्व में हुए ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ को माना जाता है. इस अभियान के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छुपे उग्रवादियों पर कार्रवाई की गयी थी. यह अभियान बेहद सफल रहा था, क्योंकि इस अभियान के दौरान 1984 के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के मुकाबले गुरुद्वारे को बहुत कम नुकसान पहुंचा था. ऑपरेशन ब्लैक थंडर में करीब 67 सिख आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण किया था और 43 मारे गये थे.
गिल के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान पंजाब पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघनों के कई आरोप लगे. वहीं गुजरात के 2002 दंगों के बाद केपीएस गिल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. दंगों के करीब दो महीने बाद नियुक्त हुए गिल ने पंजाब से विशेष रूप से प्रशिक्षित दंगा-निरोधी 1,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती का अनुरोध किया था. उन्हें हिंसा पर काबू पाने का श्रेय दिया जाता है.
नक्सलवादियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया. हालांकि उनका यह कार्यकाल पंजाब जैसा सफल नहीं रहा क्योंकि 2007 में नक्सल हमले में 55 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे.
गिल कई वर्षों तक भारतीय हॉकी फेडरेशन के प्रमुख भी रहे. हालांकि उनका यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा. इस दौरान 2008 में फेडरेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके बाद इंडियन ओलिंपिंक एसोसिएशन ने फेडरेशन को निलंबित कर दिया था.
गिल भारतीय पुलिस सेवा के 1958 बैच के असम और मेघालय कैडर के अधिकारी थे. उन्हें प्रतिनियुक्ति पर पंजाब भेजा गया था.
वहीं लुधियाना में कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने गिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने पंजाब को उग्रवाद के चंगुल से बचाया है. गिल की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए बिट्टू ने याद किया कि कैसे उनके दादाजी पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने साथ मिलकर प्रदेश से आतंकवाद को खत्म किया था.
पंजाब भाजपा के प्रमुख विजय सांपला ने कहा, ‘‘मैं गिल के निधन की सूचना से बहुत दुखी हूं.’’ केन्द्रीय मंत्री सांपला ने कहा, ‘‘वह अपनी बहादुरी और साहस के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया और लोगों को प्रेरित किया.’’ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी पद्मश्री से सम्मानित पुलिस अफसर गिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.
(इनपुट भाषा से...)