पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आज़ाद भारत की थलसेना के पहले भारतीय प्रमुख जनरल कोडन्डेरा सुबय्या थिमय्या का ज़िक्र अचानक ही फिर होने लगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान 'कर्नाटक के सपूत' के तौर पर उनका नाम लिया, और कांग्रेस पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया.
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प्यार से 'टिमी' कहकर पुकारे जाने वाले जनरल थिमय्या का जन्म 30 मार्च, 1906 को कोडागु के मदिकेरी में हुआ था, और प्रारंभिक शिक्षा के बाद आठ साल की उम्र में उन्हें पढ़ने के लिए कुन्नूर के सेंट जोसेफ कॉलेज भेज दिया गया... कुछ साल बाद उन्हें बेंगलुरू के बिशप कॉटन ब्वायज़ स्कूल में भेज दिया गया, और स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स रॉयल इंडियन मिलिटरी कॉलेज (RIMC) में दाखिला लिया, जो उस वक्त तक भारतीय सेना में शामिल होने के लिए आवश्यक कदम था... RIMC से ग्रेजुएट हो जाने के बाद थिमय्या उन छह भारतीय कैडेटों में शामिल थे, जिन्हें आगे की ट्रेनिंग के लिए सैंडहर्स्ट स्थित रॉयल मिलिटरी कॉलेज में दाखिला दिया गया.
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वर्ष 1957 से 1961 के बीच भारतीय सेना के प्रमुख रहे थिमय्या अपने माता-पिता की दूसरे नंबर की संतान थे, और उनके दो भाई और तीन बहनें थीं... उनके दोनों भाई भी भारतीय सेना में अधिकारी रहे... जनरल थिमय्या एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक इन्फैन्ट्री ब्रिगेड की कमान संभाली... भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें जुलाई, 1964 में साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना का कमांडर नियुक्त किया गया, और उनका देहांत 18 दिसंबर, 1965 को साइप्रस में ही ड्यूटी पर रहने के दौरान हुआ.
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भारतीय सेना में जनरल थिमय्या को सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में 4 फरवरी, 1926 को कमीशन किया गया था... आज़ादी और बंटवारे के तुरंत बाद सितंबर, 1947 में उन्हें मेजर-जनरल रैंक में प्रोन्नति दी गई, तथा चौथी इन्फैन्ट्री डिवीज़न तथा पंजाब बाउन्डरी फोर्स का प्रभार सौंपा गया... 1948 में पाकिस्तान के साथ कश्मीर को लेकर हुए संघर्ष में भी वह सक्रिय अफसर रहे... उनकी अगली नियुक्ति भी जम्मू एवं कश्मीर में 19वीं इन्फैन्ट्री डिवीज़न के कमांडर के रूप में हुई, और वह हमलावरों और पाकिस्तानी सेना को कश्मीर घाटी से खदेड़ने में कामयाब हुए... इंडियन मिलिटरी एकैडमी के कमांडेंट भी रह चुके जनरल थिमय्या को 7 मई, 1957 को भारतीय सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति दी गई थी.
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