नई दिल्ली:
चिराग पासवान का नाम बिहार के साथ-साथ पूरे देश की जनता के लिए अनजाना नहीं रहा है, क्योंकि दो दिन से वह काफी चर्चा में हैं। दरअसल, बॉलीवुड प्रेमियों के सामने यह नाम कुछ साल पहले सामने आया था, लेकिन चिराग उनके दिलों में खास पैठ नहीं बना पाए, सो, उसके बाद धीरे-धीरे वह अपने पिता और बिहार के दिग्गज राजनेता रामविलास पासवान के साथ राजनीति में हाथ आज़माने पहुंच गए, और काफी सक्रिय हो गए।
जमुई से सांसद हैं...
केंद्रीय मंत्री तथा लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के 31 अक्टूबर, 1982 को जन्मे पुत्र चिराग वर्ष 2014 में चुनी गई 16वीं लोकसभा में बिहार के जमुई संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं, जबकि उनके पिता इसी लोकसभा में हाजीपुर सीट से चुने गए हैं।
बॉलीवुड में नहीं हो पाए सफल
बॉलीवुड में प्रवेश की कोशिश चिराग पासवान ने वर्ष 2011 में की थी, और तनवीर खान की फिल्म 'मिलें न मिलें हम' के जरिये रुपहले पर्दे पर अवतरित हुए थे। इस फिल्म में उनके साथ एक नहीं, तीन-तीन नायिकाएं - कंगना रनौत, नीरू बाजवा और सागरिका घाटगे - थीं, लेकिन इसके बाद भी फिल्म असफल रही, और इसी वजह से चिराग का फिल्मी करियर ढंग से उड़ान भरने से पहले ही खत्म हो गया।
फिल्म के असफल होने के बाद उतरे राजनीति में
इसी के बाद चिराग पासवान ने राजनीति में उतरने का फैसला किया, और 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा। पिता की लोकप्रियता और एक खास तबके में उनकी पार्टी की पकड़ के फलस्वरूप उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुधांशु शेखर भास्कर को लगभग 85,000 वोटों से हराकर लोकसभा में जगह बनाई।
जमुई से सांसद हैं...
केंद्रीय मंत्री तथा लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के 31 अक्टूबर, 1982 को जन्मे पुत्र चिराग वर्ष 2014 में चुनी गई 16वीं लोकसभा में बिहार के जमुई संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं, जबकि उनके पिता इसी लोकसभा में हाजीपुर सीट से चुने गए हैं।
बॉलीवुड में नहीं हो पाए सफल
बॉलीवुड में प्रवेश की कोशिश चिराग पासवान ने वर्ष 2011 में की थी, और तनवीर खान की फिल्म 'मिलें न मिलें हम' के जरिये रुपहले पर्दे पर अवतरित हुए थे। इस फिल्म में उनके साथ एक नहीं, तीन-तीन नायिकाएं - कंगना रनौत, नीरू बाजवा और सागरिका घाटगे - थीं, लेकिन इसके बाद भी फिल्म असफल रही, और इसी वजह से चिराग का फिल्मी करियर ढंग से उड़ान भरने से पहले ही खत्म हो गया।
फिल्म के असफल होने के बाद उतरे राजनीति में
इसी के बाद चिराग पासवान ने राजनीति में उतरने का फैसला किया, और 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा। पिता की लोकप्रियता और एक खास तबके में उनकी पार्टी की पकड़ के फलस्वरूप उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुधांशु शेखर भास्कर को लगभग 85,000 वोटों से हराकर लोकसभा में जगह बनाई।
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