इस राज्‍य में हुई कैश की भारी किल्‍लत, ATM भी खाली, वेतनभोगियों-पेशनरों के लिए आफत

इस राज्‍य में हुई कैश की भारी किल्‍लत, ATM भी खाली, वेतनभोगियों-पेशनरों के लिए आफत

केरल में पिछले दो दिनों से लोगों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि नकदी की भारी किल्लत है.
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने पर्याप्‍त मुद्रा नोटों की आपूर्ति नहीं की है- थॉमस
  • राज्य सरकार के अधिकारी तथा पेंशनभोगी सरकारी कोषागार पर ही निर्भर हैं.
तिरुवनंतपुरम:

यह महीने की शुरुआत है और देशभर में लोग अपनी तनख्‍वाह और पेंशन पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन केरल में ज्‍यादातर लोग नकदी की कमी के चलते पैसा नहीं निकाल पा रहे, जिससे राज्‍य में लोगों में डर का माहौल बना हुआ है... इसकी बड़ी वजह यह भी है कि यहां देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के एटीएम से नकद निकासी नहीं हो पा रही.

केरल में पिछले दो दिनों से लोगों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने मंगलवार को कहा कि नकदी की भारी किल्लत है और यह ऐसी अवस्था में पहुंच चुका है कि स्टेट ट्रेजरी के माध्यम से वेतन व पेंशन का भुगतान प्रभावित हो गया है. उन्‍होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पर्याप्‍त मुद्रा नोटों की आपूर्ति नहीं की है.

केरल में यह सकंट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध मुद्रा घोषित कर बंद किए के कुछ महीनों बाद पैदा हुआ है. नोटबंदी के बाद लाखों लोग पुराने नोट बदलवाने और नए नोट पाने के लिए बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारों में घंटों खड़े देखे गए थे.

राज्य सरकार के अधिकारी तथा पेंशनभोगी सरकारी कोषागार पर ही निर्भर हैं. मंगलवार को राज्य की कई ट्रेजरी के सामने लोगों को पैसों के लिए इंतजार करते देखा गया. राज्य की लगभग 110 ट्रेजरी को बैकों से पैसे नहीं मिल रहे हैं, जो उन्हें नकदी की आपूर्ति करते हैं.

पेंशनभोगी महिलाओं के एक समूह ने कोच्चि में कहा, "हम सुबह से ही इंतजार कर रहे हैं और कई घंटे बीत चुके हैं. ट्रेजरी अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में नकदी नहीं मिल रही." सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हुए हैं, जो राज्य की राजधानी में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के विभिन्न एटीएम से पैसे निकालते हैं.

एक कामकाजी महिला ने कहा, "लोगों को परेशानी में डालने की भी इंतिहा होती है. बीते दो दिनों से मैं एसबीआई के विभिन्न एटीएम के चक्कर लगा रही हूं. अगर नकदी नहीं है, तो वे इसका बोर्ड क्यों नहीं लगा देते, जिसमें लिखा हो कि नकदी नहीं है."

नोटबंदी के वक्त नवंबर-दिसंबर के महीने में राज्य की राजधानी में पैसे पहुंचाए गए थे.. लेकिन इस बार, ऐसा लगता है कि बैंकिंग उद्योग वैकल्पिक उपाय करने में नाकाम हुआ है, जिससे लोग खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. (इनपुट एजेंसी से भी)


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