
केरल के कनथापुरम एपी अबूबकर मुस्लीयर का कहना है कि लैंगिक समानता 'गैरइस्लामी' है
तिरुवनंतपुरम:
केरल के सुन्नी नेता कनथापुरम एपी अबूबकर मुस्लीयर ने विवादित टिप्पणी करते हुए लैंगिक समानता की संकल्पना को 'गैर-इस्लामी' करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं, क्योंकि 'वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं।'
महिलाओं में दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं
'ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा' के प्रमुख मुस्लीयर ने कहा कि महिलाओं में मानसिक मजबूती और दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं होती, क्योंकि 'यह पुरुषों के हाथ में होती है।' उन्होंने कोझीकोड में 'मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन' के एक शिविर में कहा, 'लैंगिक समानता ऐसी चीज है जो कभी वास्तविकता में तब्दील होने वाली नहीं है। यह इस्लाम, मानवता के खिलाफ है और बौद्धिक रूप से गलत है।'
मुस्लीयर ने कहा, 'महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं। वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं। महिलाएं संकट की स्थितियों का सामना नहीं कर सकतीं।' उन्होंने पूछा कि क्या हृदय के हजारों सर्जनों में एक भी महिला है।
पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान
इससे पहले भी इस 76 वर्षीय इस्लामी शिक्षाविद ने हाल में चुनावों में महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षित सीटें 'बहुत ज्यादा' हैं, लेकिन विवाद खड़ा होने के बाद वह इससे पलट गए थे।
वहीं कॉलेजों में लड़के और लड़कियों के सीटें साझा करने की अनुमति पर जारी बहस के संदर्भ में मुस्लीयर ने कहा कि यह 'इस्लाम तथा संस्कृति को खराब करने के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है।'
महिलाओं में दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं
'ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा' के प्रमुख मुस्लीयर ने कहा कि महिलाओं में मानसिक मजबूती और दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं होती, क्योंकि 'यह पुरुषों के हाथ में होती है।' उन्होंने कोझीकोड में 'मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन' के एक शिविर में कहा, 'लैंगिक समानता ऐसी चीज है जो कभी वास्तविकता में तब्दील होने वाली नहीं है। यह इस्लाम, मानवता के खिलाफ है और बौद्धिक रूप से गलत है।'
मुस्लीयर ने कहा, 'महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं। वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं। महिलाएं संकट की स्थितियों का सामना नहीं कर सकतीं।' उन्होंने पूछा कि क्या हृदय के हजारों सर्जनों में एक भी महिला है।
पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान
इससे पहले भी इस 76 वर्षीय इस्लामी शिक्षाविद ने हाल में चुनावों में महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षित सीटें 'बहुत ज्यादा' हैं, लेकिन विवाद खड़ा होने के बाद वह इससे पलट गए थे।
वहीं कॉलेजों में लड़के और लड़कियों के सीटें साझा करने की अनुमति पर जारी बहस के संदर्भ में मुस्लीयर ने कहा कि यह 'इस्लाम तथा संस्कृति को खराब करने के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है।'
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