बिशप जेकब मुरिकन
कोच्चि:
केरल के मल्लापुरम में 30 साल का सूरज रहता है जो पिछले डेढ़ साल से किडनी खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती है। लेकिन पिछले दिनों उसके जीवन में जो हुआ वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब सूरज और उसका परिवार हिम्मत हार चुका था तब अचानक उन्हें पता चलता है कि कोई है जो उसे किडनी दान करना चाहता है। कोट्टायम के बिशप जेकब मुरिकन ऐसे पहले कार्यरत बिशप हैं जिन्होंने जीवित रहते हुए स्वेच्छा से किडनी दान करने का फैसला लिया है।
अपने परिवार में सूरज अकेले ही थे जो रोज़ी रोटी के इंतज़ाम में लगे रहते थे और वह भी पिछले डेढ़ साल से डायलिसस पर चल रहे हैं। एनडीटीवी से बातचीत में सूरज कहते हैं 'जब हालत बहुत खराब हो गई मैंने तभी इलाज करवाना शुरू किया और अब डेढ़ साल बीत गया है। अब मुझे पता चला है कि एक बिशप हैं जो मुझे किडनी दान करने के लिए राज़ी हो गए हैं। मेरे लिए यह भगवान की देन ही है।'
'अंग दान में चर्च का यकीन'
उधर बिशप का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि वह किडनी किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को दान कर रहे हैं। वह इसे अपने संदेशों को कर्म में बदलने का एक मौका भर मान रहे हैं। बिशप कहते हैं 'हमारा चर्च और पोप फ्रांसिस अंग दान में यकीन रखते हैं। यह चर्च की मान्यताओं के अनुकूल है। मुझे लगता है ऐसा करने से मेरे आसपास के लोगों को भी अंग दान करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।'
वैसे इस काम के पीछे फादर शिरामल का हाथ माना जाएगा जो भारत के पहले पादरी थे जिन्होंने सालों पहले किडनी दान की थी और फिर उन्होंने किडनी फेडरेशन ऑफ इंडिया नाम की एक संस्था भी शुरू की थी। वह कहते हैं जब हम डोनर के ज़रिए किसी व्यक्ति तक पहुंचते हैं तो हमारी एक ही शर्त होती है कि दान लेने वाले के परिवार में से किसी एक को भी बदले में कुछ दान करना होगा। लेकिन सूरज के मामले में यह मुमकिन नहीं है क्योंकि उसके परिवार की कुछ सीमाएं है और हम उसे समझते हैं।' सूरज की सर्जरी जून के पहले हफ्ते में होने की संभावना है।
अपने परिवार में सूरज अकेले ही थे जो रोज़ी रोटी के इंतज़ाम में लगे रहते थे और वह भी पिछले डेढ़ साल से डायलिसस पर चल रहे हैं। एनडीटीवी से बातचीत में सूरज कहते हैं 'जब हालत बहुत खराब हो गई मैंने तभी इलाज करवाना शुरू किया और अब डेढ़ साल बीत गया है। अब मुझे पता चला है कि एक बिशप हैं जो मुझे किडनी दान करने के लिए राज़ी हो गए हैं। मेरे लिए यह भगवान की देन ही है।'
'अंग दान में चर्च का यकीन'
उधर बिशप का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि वह किडनी किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को दान कर रहे हैं। वह इसे अपने संदेशों को कर्म में बदलने का एक मौका भर मान रहे हैं। बिशप कहते हैं 'हमारा चर्च और पोप फ्रांसिस अंग दान में यकीन रखते हैं। यह चर्च की मान्यताओं के अनुकूल है। मुझे लगता है ऐसा करने से मेरे आसपास के लोगों को भी अंग दान करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।'
वैसे इस काम के पीछे फादर शिरामल का हाथ माना जाएगा जो भारत के पहले पादरी थे जिन्होंने सालों पहले किडनी दान की थी और फिर उन्होंने किडनी फेडरेशन ऑफ इंडिया नाम की एक संस्था भी शुरू की थी। वह कहते हैं जब हम डोनर के ज़रिए किसी व्यक्ति तक पहुंचते हैं तो हमारी एक ही शर्त होती है कि दान लेने वाले के परिवार में से किसी एक को भी बदले में कुछ दान करना होगा। लेकिन सूरज के मामले में यह मुमकिन नहीं है क्योंकि उसके परिवार की कुछ सीमाएं है और हम उसे समझते हैं।' सूरज की सर्जरी जून के पहले हफ्ते में होने की संभावना है।
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