जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. घाटी में बीते 72 दिनों से बंद पड़ी पोस्टपेड मोबाइल सेवा (Postpaid Mobile Service) सोमवार को बहाल कर दी गई. घाटी के करीब 40 लाख पोस्टपेड मोबाइल फोन ने काम करना शुरू कर दिया है. हालांकि इन सबके बीच वहां के लोगों के लिए अब एक नई परेशानी सामने आ गई है. मोबाइल फोन सेवाएं तो बहाल हो गई हैं, लेकिन आउटगोइंग कॉल लोगों के लिए समस्या का सबब बन गया है. ज्यादातर मोबाइल यूजर्स को बीते 72 दिन का बिल भेजा गया है साथ ही बिल जमा न होने के कारण उनकी आउटगोइंग सेवाएं बंद कर दी गई है. बता दें कि कश्मीर में इंटरनेट सेवा को अभी तक बहाल नहीं किया गया है, जिस वजह से लोगों ने बिल का भुगतान नहीं किया है.
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बता दें कि बीते 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा (आर्टिकल 370) हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद से ही वहां संचार सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. संचार सेवाओं को बंद करना सरकार की तरफ से उठाए गए एहतियाती उपायों का हिस्सा था, जिसके तहत राजनेताओं की नजरबंदी, अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती और सैलानियों को घाटी से हटाना शामिल था. ये सभी कदम वहां संघर्षों को रोकने के लिए उठाए गए थे.
श्रीनगर निवासी गुलाम नबी नज्जर को सेलफोन सेवा बहाल होने पर काफी राहत मिली, क्योंकि अब वह मस्कट में काम कर रहे अपने बेटे से संपर्क कर पाएंगे. 65 साल की उम्र के इस शख्स को बीते दो महीनों में अपने बेटे से बात करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. इससे पहले सरकार ने सीमित संख्या में लैंडलाइन सेवा को बहाल किया था, जिस वजह से स्थानीय लोगों को जरूरी कॉल करने के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ा रहा था. लेकिन उनकी पत्नी हाजिरा को अभी भी कुछ इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि वह प्रीपेड फोन इस्तेमाल करती हैं.
घाटी में लगभग 70 लाख मोबाइल कनेक्शन हैं. इनमें से 40 लाख पोस्टपेड फोन ने काम करना शुरू कर दिया है और तीस लाख प्रीपेड फोन हैं, जिन्हें अभी तक बहाल नहीं किया गया है. हालांकि इस बात का भी जिक्र नहीं किया गया है कि इंटरनेट सेवाएं कब से बहाल की जाएंगी.
सरकार की तरफ से कहा गया है कि प्रतिबंध हटाने को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जो जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है. पिछले महीने लैंडलाइन कनेक्शन को बहाल किया गया था. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हालांकि, मोबाइल और लैंडलाइन सेवा को बंद करने का बचाव करते हुए कहा था कि लोगों की सुरक्षा सेलफोन सेवाओं से अधिक महत्वपूर्ण है, जिसका उपयोग आतंकवादियों द्वारा 'भीड़ जुटाने के लिए करते हैं. उन्होंने कहा था कि, 'लोग पहले भी टेलीफोन के बिना रहते थे. हमारे लिए एक कश्मीरी का जीवन महत्वपूर्ण है, टेलीफोन नहीं.'
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