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This Article is From Jan 19, 2020

कश्मीरी पंडितों ने 'विस्थापन दिवस' पर बयां किया दर्द, कहा- हम कश्मीर लौटना चाहते हैं लेकिन...

19 जनवरी की तारीख, कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) का दर्द कुरेदती है. वह गुस्से में हैं लेकिन बेबस भी हैं. 19 जनवरी, 1990 की शाम उनके लिए किसी खौफनाक हकीकत से कम नहीं थी.

कश्मीरी पंडितों ने 'विस्थापन दिवस' पर बयां किया दर्द, कहा- हम कश्मीर लौटना चाहते हैं लेकिन...
कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़े हुए आज 30 साल हो गए हैं.
श्रीनगर:

19 जनवरी की तारीख, कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) का दर्द कुरेदती है. वह गुस्से में हैं लेकिन बेबस भी हैं. 19 जनवरी, 1990 की शाम उनके लिए किसी खौफनाक हकीकत से कम नहीं थी. वो एक ऐसी हकीकत थी, जिसे वह कभी भी याद नहीं करना चाहते लेकिन अपनी जमीन को खोने का दुख उन्हें रह-रहकर सताता है. उस शाम हुए एक ऐलान से जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी पंडितों और सिखों की जिंदगी में कोहराम मच गया. उनसे अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़कर जाने के लिए कह दिया गया था. इस घटना के आज (रविवार) 30 साल पूरे होने पर कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान दर्जनों की संख्या में लोग हाथों में तख्ती और पोस्टर के जरिए इंसाफ की मांग करते नजर आए.

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एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम अपने ही देश में शरणार्थी की तरह रह रहे हैं और कोई हमारी फिक्र नहीं कर रहा है. हम जल्द से जल्द कश्मीर लौटना चाहते हैं.' कश्मीर घाटी छोड़ने के 30 साल पूरे होने पर जम्मू में कई जगहों पर कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया. बताते चलें कि 1990 में घाटी में कश्मीरी पंडितों पर खूब अत्याचार हुए थे. जो लोग अपनी जमीन छोड़कर नहीं गए, उन्हें आतंकियों ने मार दिया. उस दौरान रेप, लूटपाट और हत्या की दर्जनों वारदातें सामने आईं. कश्मीरी पंडित हर साल आज (19 जनवरी) के दिन को 'विस्‍थापन दिवस' के तौर पर मनाते हैं. वह हमेशा से मांग करते आए हैं कि केंद्र सरकार उन्हें घाटी में फिर से बसाने के लिए योजना लाए.

बताते चलें कि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर सूबे को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया था. अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद कश्मीरी पंडितों के भीतर आस जगी और उन्होंने मोदी सरकार से अपने पुनर्वास की मांग की. कश्मीरी पंडितों के एक विदेशी संगठन ने पुनर्वास कराने के लिए भारत सरकार से अपील की. पुनर्वास को लेकर कश्मीरी ओवरसीज असोसिएशन (KOA) ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए पर सरकार का हालिया निर्णय हमारे अस्तित्व पर सीधा असर डालता है. तीन दशक पहले बलपूर्वक निष्कासन के बाद पहली बार उम्मीद की नई किरण ने हमारे समुदाय को ऊर्जा दी है. कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद की स्थिति पर चर्चा के लिए सप्ताहांत में वाशिंगटन डीसी के मैरीलैंड में एकत्रित हुए थे. (इनपुट ANI से भी)

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