सांकेतिक तस्वीर
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सभी टेलीकॉम नेटवर्क को इंटरनेट सेवाएं तथा सरकारी बीएसएनएल के अलावा सभी को मोबाइल सेवाएं अगले 72 घंटे तक बंद रखने का सोमवार को आदेश दिया है. राज्य के मौजूदा तनावपूर्ण माहौल को ध्यान में रखते हुए एहतियातन यह कदम उठाया गया है.
आधिकारिक सूत्रों ने श्रीनगर में कहा कि ईद-उल-अजहा त्योहार की पूर्व संध्या पर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया गया है.
सूत्रों ने कहा कि एयरटेल, एयरसेल, वोडाफोन और रिलायंस टेलीकॉम को तत्काल प्रभाव से अगले 72 घंटों के लिए अपनी सेवाएं बंद करने को कहा गया है, जबकि सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल से कहा गया है कि वह इस अवधि में अपनी ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवाएं बंद रखे.
सूत्रों ने कहा, अलगाववादियों ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय की ओर मार्च निकालने का आह्वान किया है. अधिकारियों को आशंका है कि इंटरनेट के माध्यम से लोगों को इकट्ठा करने के अलावा उन्हें टेलीफोन के जरिए संबोधित भी किया जा सकता है.
सूत्रों ने कहा, हालांकि बीएसएनएल के पोस्ट-पेड नंबरों को इस प्रतिबंध से आजाद रखा गया है. गौरतलब है कि कंपनी के ज्यादातर पोस्ट-पेड नंबर पुलिस, सेना और सरकारी अफसरों के पास हैं.
हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के आठ जुलाई को मारे जाने के तुरंत बाद ही घाटी में मोबाइल सेवाएं प्रतिबंधित कर दी गई थीं. उसके बाद 27 जुलाई को ब्रॉडबैंड सेवाओं के माध्यम से उसमें कुछ ढील दी गई.
जबकि पिछले दो महीने से सभी प्री-पेड मोबाइल फोन सेवाएं बंद हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आधिकारिक सूत्रों ने श्रीनगर में कहा कि ईद-उल-अजहा त्योहार की पूर्व संध्या पर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया गया है.
सूत्रों ने कहा कि एयरटेल, एयरसेल, वोडाफोन और रिलायंस टेलीकॉम को तत्काल प्रभाव से अगले 72 घंटों के लिए अपनी सेवाएं बंद करने को कहा गया है, जबकि सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल से कहा गया है कि वह इस अवधि में अपनी ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवाएं बंद रखे.
सूत्रों ने कहा, अलगाववादियों ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय की ओर मार्च निकालने का आह्वान किया है. अधिकारियों को आशंका है कि इंटरनेट के माध्यम से लोगों को इकट्ठा करने के अलावा उन्हें टेलीफोन के जरिए संबोधित भी किया जा सकता है.
सूत्रों ने कहा, हालांकि बीएसएनएल के पोस्ट-पेड नंबरों को इस प्रतिबंध से आजाद रखा गया है. गौरतलब है कि कंपनी के ज्यादातर पोस्ट-पेड नंबर पुलिस, सेना और सरकारी अफसरों के पास हैं.
हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के आठ जुलाई को मारे जाने के तुरंत बाद ही घाटी में मोबाइल सेवाएं प्रतिबंधित कर दी गई थीं. उसके बाद 27 जुलाई को ब्रॉडबैंड सेवाओं के माध्यम से उसमें कुछ ढील दी गई.
जबकि पिछले दो महीने से सभी प्री-पेड मोबाइल फोन सेवाएं बंद हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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