Karvy Stock Broking के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सी पार्थसारथी को हैदराबाद पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने बताया कि उनपर धोखाधड़ी और क्लाइंट्स के फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप है. IndusInd Bank ने इस फाइनेंशियल सर्विस कंपनी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि कंपनी ने उससे 137 करोड़ का लोन लेकर डिफॉल्ट कर दिया है. हैदराबाद पुलिस के जॉइंट पुलिस कमिश्नर अविनाश मोहंती ने बताया कि 'HDFC बैंक ने भी लगभग 350 करोड़ के फ्रॉड के आरोप में दो केस दर्ज कराए हैं.'
पुलिस के मुताबिक, हैदाराबाद स्थित इस कंपनी के ऊपर सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों का घनघोर उल्लंघन, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और विश्वास तोड़ने जैसे आरोप हैं.
क्या है मामला
2019 में सेबी ने कंपनी के ऊपर लगे कई अनियमितताओं के आरोपों के खिलाफ जांच शुरू की थी. उस वक्त यह सामने आया था कि कार्वी ने बैंकों से लोन इकट्ठा किया था और अपनी ही सब्सिडियरी कंपनीज़ में इस फंड को वर्किंग कैपिटल की तरह ट्रांसफर कर दिया था. अविनाश मोहंती ने बताया कि कंपनी ने IndusInd Bank और HDFC बैंक के अलावा, ICICI बैंक, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक से भी लोन लिए थे.
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कंपनी ने ये लोन कई सालों में लिए थे. कंपनी ने अपनी सिक्योरिटीज़ यानी प्रतिभूतियों को कॉलेटरल के तौर पर दिखाया था. हालांकि, सेबी की जांच पर पता चला कि कंपनी ने जो प्रतिभूतियां बैंकों के पास रखी हैं, वो उसकी अपनी नहीं, उसके क्लाइंट्स की हैं, जबकि बैंकों को जानकारी थी कि वो उसकी सिक्योरिटीज़ हैं.
यह खुलासा होने के बाद सेबी ने 2022 में कार्वी पर NSE और BSE यानी स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने से बैन लगा दिया. चूंकि इस लोन के तहत जो पैसा लिया गया था, उसे वर्किंग कैपिटल की तरह यूज़ किया गया तो कंपनी डिफॉल्ट होने लगी.
पुलिस ने बताया कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के कुछ दो लाख क्लाइंट्स हैं, लेकिन फिलहाल उनकी तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.
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