
पुलिस द्वारा की गई ग्रामीणों की पिटाई का दृश्य (फाइल फोटो)
Quick Take
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धारवाड़ के नावलगुंड गांव में ग्रामीणों की हुई थी पिटाई
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित
थाना, कोर्ट आदि सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने से नाराज थी पुलिस
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कमल पंत की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है जो जांच करके यह बताएगी कि किन हालात में पुलिस ने निहत्थे गांव वालों पर इस तरह लाठी-डंडों से हमला किया. इसके लिए कौन लोग दोषी है?
दरअसल गुरुवार को महादायी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर उत्तर कर्नाटक बंद का आह्वान किया गया था. इस बंद के दौरान समर्थकों ने पुलिस स्टेशन कोर्ट और कई अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया. इससे पुलिसकर्मी खासे नाराज थे.

शनिवार के कर्नाटक बंद को देखते हुए बड़ी तादाद में गांव वालों को हिरासत में लिया गया और दोपहर में उन्हें छोड़ दिया गया. पुलिस स्टेशन के बाहर दोनों तरफ पुलिस जीप लगाकर एक रास्ता पुलिस कर्मियों ने बनाया और गांव वालों को उसी से गुजरने को कहा गया. जब वे वहां से जाने लगे तो वहां दोनों तरफ खड़े पुलिस कर्मियों ने उन पर हमला बोल दिया. वहां पुलिस की जो गाड़ियां खड़ी थीं उनमें से एक गाड़ी अतिरिक्त पुलिस निदेशक रैंक के अधिकारी की थी. यानी उनकी मौजूदगी में पुलिस ने इस बर्बर कार्रवाई को अंजाम दिया.
मामला यहीं नहीं थमा. बाद में पुलिस कर्मियों ने गांव में बच्चे, बूढ़े और महिलाओं को घरों से निकालकर पीटा. दो निजी चैनलों के स्थानिय कैमरामैनों ने इस पूरी वारदात को रेकार्ड कर लिया और इसके बाद बवाल उठ खड़ा हुआ. हुबली धाड़वार के प्रभारी मंत्री विनय कुलकर्णी का कहना है कि वहां के हालात काफी खराब हैं. सरकार को दोनों पक्षों यानी पुलिस और जनता को साथ लेकर चलना पड़ता है.
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