बेंगलुरु / नई दिल्ली:
कर्नाटक के राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने शुक्रवार देर शाम कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया। 64 वर्षीय सिद्धारमैया सोमवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं।
राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया को नियुक्त कर राज्यपाल प्रसन्न हैं।"
भारद्वाज से मुलाकात करने के बाद सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें शीघ्र ही शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया है।
राज भवन के बाहर सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा, "संभवत: सोमवार को मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।"
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जी. परमेश्वर के राज्यपाल से मुलाकात कर सिद्धारमैया के ध्वनिमत से नेता चुने जाने की जानकारी दिए जाने और उनसे कांग्रेस विधायक दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किए जाने के तीन घंटे के भीतर नियुक्ति कर दी गई।
सैकड़ों समर्थकों के खुशी मनाने के बीच सिद्धारमैया ने कहा, "अकेले शपथ लेने के बाद मैं परमेश्वर के साथ नई दिल्ली जाउंगा और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मिल कर मंत्रिपरिषद के नाम तय करूंगा।"
इससे पहले पूरे दिन राजनीतिक घटनाक्रम चला। पार्टी के 121 नवनिर्वाचित विधायकों में से अधिकांश की पसंद को देखते हुए पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगा दी। मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे थे। खड़गे राज्य की गुलबर्गा सीट से लोकसभा सदस्य हैं।
कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में सिद्धारमैया के नाम की घोषणा तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों- एंटनी, एल. फलेरियो तथा जितेंद्र सिंह के साथ राज्य के नवनिर्वाचित 121 पार्टी विधायकों की करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद की गई।
कर्नाटक में कांग्रेस की चुनाव समन्वय समिति के प्रमुख रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि पार्टी आलाकमान ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में सिद्धारमैया को नामित किया है।
इससे पहले कांग्रेस के नेता आरवी देशपांडे ने संवाददाताओं से कहा, "सिद्धारमैया को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। वह राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे।"
इससे पहले विधायकों ने अपने नेता के चयन की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान को सौंप दी थी।
सिद्धारमैया की गिनती मैसूर क्षेत्र के पिछड़े वर्ग (कुरुबा) के ताकतवर नेता के रूप में होती है। वह दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह पहली बार वर्ष 1983 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे।
जनता दल के विभाजन के बाद वह एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) से जुड़ गए थे और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने। लेकिन देवेगौड़ा से मनमुटाव के बाद वह वर्ष 2006 में कांग्रेस से जुड़ गए।
राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया को नियुक्त कर राज्यपाल प्रसन्न हैं।"
भारद्वाज से मुलाकात करने के बाद सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें शीघ्र ही शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया है।
राज भवन के बाहर सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा, "संभवत: सोमवार को मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।"
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जी. परमेश्वर के राज्यपाल से मुलाकात कर सिद्धारमैया के ध्वनिमत से नेता चुने जाने की जानकारी दिए जाने और उनसे कांग्रेस विधायक दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किए जाने के तीन घंटे के भीतर नियुक्ति कर दी गई।
सैकड़ों समर्थकों के खुशी मनाने के बीच सिद्धारमैया ने कहा, "अकेले शपथ लेने के बाद मैं परमेश्वर के साथ नई दिल्ली जाउंगा और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मिल कर मंत्रिपरिषद के नाम तय करूंगा।"
इससे पहले पूरे दिन राजनीतिक घटनाक्रम चला। पार्टी के 121 नवनिर्वाचित विधायकों में से अधिकांश की पसंद को देखते हुए पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगा दी। मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे थे। खड़गे राज्य की गुलबर्गा सीट से लोकसभा सदस्य हैं।
कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में सिद्धारमैया के नाम की घोषणा तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों- एंटनी, एल. फलेरियो तथा जितेंद्र सिंह के साथ राज्य के नवनिर्वाचित 121 पार्टी विधायकों की करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद की गई।
कर्नाटक में कांग्रेस की चुनाव समन्वय समिति के प्रमुख रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि पार्टी आलाकमान ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में सिद्धारमैया को नामित किया है।
इससे पहले कांग्रेस के नेता आरवी देशपांडे ने संवाददाताओं से कहा, "सिद्धारमैया को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। वह राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे।"
इससे पहले विधायकों ने अपने नेता के चयन की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान को सौंप दी थी।
सिद्धारमैया की गिनती मैसूर क्षेत्र के पिछड़े वर्ग (कुरुबा) के ताकतवर नेता के रूप में होती है। वह दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह पहली बार वर्ष 1983 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे।
जनता दल के विभाजन के बाद वह एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) से जुड़ गए थे और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने। लेकिन देवेगौड़ा से मनमुटाव के बाद वह वर्ष 2006 में कांग्रेस से जुड़ गए।
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