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This Article is From Sep 01, 2015

कर्नाटक: क्या प्रोफेसर कलबुरगी धार्मिक उन्माद की भेंट चढ़ गए

कर्नाटक: क्या प्रोफेसर कलबुरगी धार्मिक उन्माद की भेंट चढ़ गए
प्रोपेसर कलबुरगी की हत्या के विरोध में प्रदर्शन करते हुए नागरिक (फाइल फोटो)
बेंगलुरु: तक़रीबन 25 साल के आसपास के दो नौजवानों का प्रोफेसर कलबुरगी ने क्या बिगाड़ा था कि उन्होंने पॉइंट ब्लेंक रेंज से रिवाल्वर की दो गोलियां उन पर चलाईं जिससे उनकी मौत घटना स्थल पर ही हो गई। न तो कभी किसी ने उनके चरित्र पर उंगली उठाई और न ही वे इतने संपन्न थे कि हत्या को संपन्नता से जोड़कर देखा जाए। यानी भले ही उनकी किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी न रही हो, लेकिन उनकी लेखनी और सोच ने उनके अनगिनत दुश्मन पैदा कर दिए।

शुरुआत 80 के दशक में प्रकाशित उनके कविताओं के संग्रह "मार्ग एक" से हुई। इस कविता संग्रह में लिंगायत जाति के सबसे प्रतिष्ठित संत बसवा के खिलाफ तीखी टिप्पणी थी| नतीजा यह हुआ कि उनके खिलाफ धर्मगुरू लामबद्ध हो गए। वे खुद भी लिंगायत थे, ऐसे में अपने समाज ने उनका बहिष्कार किया।

समय के साथ लोगों की उनके प्रति नफरत काम हुई, लेकिन अपने लेखों और शोध की वजह से वे बुद्धिजीवी वर्ग में अपनी जगह बनाने लगे। एक के बाद एक 20 प्रकाशनों ने उन्हें कन्नड़ साहित्य में एक ऐसे मुकाम पर ला खड़ा किया कि 2006 में उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड मिला।

प्रोफेसर कलबुरगी एक तरफ जहां साहित्यिक दुनिया में ऊंचाइयां छू रहे थे वहीं दूसरी तरफ लगातार उनके खिलाफ प्रदर्शन गिरफ्तारी की मांग तेज होती रही। इसकी वजह थी उनका मूर्ति पूजा का विरोध। विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और श्री राम सेना जैसे हिन्दू चरमपंथी संगठनों को प्रोफेसर कलबुरगी एक आंख नहीं सुहाते थे। ऐसे में जून 2014 में बेंगलुरु में दिए गए उनके व्याख्यान ने आग में घी का काम किया।

अंधविश्वास निरोधक संशोधन बिल की वकालत करते हुए प्रोफेसर कलबुरगी ने एक बार फिर मूर्ति पूजा का जबरदस्त विरोध किया। कर्नाटक से ही साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता यू आर अनंतमूर्ति की किताब "बेथाले पूजे यके कडाडु"  का उल्लेख करते हुए कलबुरगी ने इसके उस प्रसंग की वकालत की जिसमें लेखक कहता है कि बचपन में वह देवी-देवताओं की मूर्तियों पर पेशाब किया करते थे, यह जांच करने के लिए कि अगर उन मूर्तियों में शक्ति है तो वे उनका कुछ बिगाड़ क्यों नहीं लेतीं।

इसी कार्यक्रम में प्रोफेसर कलबुरगी ने एक बार फिर मूर्ति पूजा के खिलाफ बात की। राज्य के कई शहरों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए। उन्हें धमकियां मिलने लगीं। तब उन्होंने अपने लिए सुरक्षा की मांग की। पुलिस ने जब सुरक्षा मुहैय्या कराई तो कुछ दिनों बाद इसे हटाने की मांग करने लगे, जिसे पुलिस ने मान लिया।

30 अगस्त को दो युवकों ने उनकी हत्या कर दी। इसके फ़ौरन बाद बजरंग दाल के एक निचले स्तर के कर्यकर्ता ने जिस तरह इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली, उससे सनसनी फैल गई। उसने ट्वीट कर एक और जाने माने कन्नड़ लेखक के एस भगवान को जान से मारने की धमकी दे डाली। ट्वीट कुछ इस तरह था "पहले अनंतमूर्ति और अब कलबुरगी...जो भी हिंदूवाद का मजाक उड़ाएगा, वह कुत्तों की मौत मारा जाएगा। केएस भगवान अब आपकी बारी है।"

हालांकि थोड़ी ही देर बाद बजरंग दाल ने इससे अपने आप को यह कहते हुए अलग कर लिया कि यह विचार निजी है, संगठन का नहीं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सुरेश कुमार ने भी इस ट्वीट की निंदा करते हुए इसके खिलाफ कर्रवाई की मांग की।

चूंकि हत्यारों का पता अब तक नहीं चल पाया है इसलिए राज्य सरकार ने सी आई डी जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही साथ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार सी बी आई को पत्र लिखकर इस मामले की जांच का आग्रह करेगी।

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