उत्‍तर कर्नाटक के कुछ गांवों में 'नेट' की पहुंच नहीं, ऑनलाइन क्‍लास के लिए बस स्‍टैंड बना छात्रों का 'ठिकाना'

अमीषा की ही तरह देवल-मक्की पंचायत के गांवों के कॉलेज के कई छात्र भी ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिएगांव के बाहर इस बस स्टैंड पर जमा हुए हैं क्योंकि इनके गांवों तक इंटरनेट की पहुंच नहीं है.

उत्‍तर कर्नाटक के कुछ गांवों में 'नेट' की पहुंच नहीं, ऑनलाइन क्‍लास के लिए बस स्‍टैंड बना छात्रों का 'ठिकाना'

प्रतीकात्‍मक फोटो

खास बातें

  • जंगलों और पहाड़ी के कारण इंटरनेट की पहुंच से दूर हैं कुछ गांव
  • ऑनलाइन स्‍टडी के लिए गांव के बाहर बसस्‍टैंड पहुंचते हैं स्‍टूडेंट
  • इंटरनेट की पहुंच के कारण बच्‍चों के लिए 'पाठशाला' बना यह बसस्‍टैंड
बेंगलुरू:

कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह... इसकी ताज़ा मिसाल उत्तर कर्नाटक (North Karnataka) के कारवार में देखने को मिल रही है. घने जंगल और पहाड़ी की वजह से क्षेत्र के कुछ गांव ऐसे हैं जहां इंटरनेट नहीं पहुंच पा रहा. ऐसे में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने गांव से बाहर बस स्टैंड का रुख किया जहां नेटवर्क अच्छा है. अभाव में जी रहे गांवों के मेहनतकश बच्चों के लिए वह हर जगह तक 'पाठशाला' बन गई है जहां उन्हें इंटरनेट मिलता है. 

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इंटरनेट नेटवर्क के लिए बस स्‍टैंड पहुंची एक स्‍टूडेंट ने कहा, ''मेरा नाम अमीषा दीपक है मैं देवल-मक्की से हूं लेकिन यूनिवर्सिटी कारवार से कर रही हूं." अमीषा की ही तरह देवल-मक्की पंचायत के गांवों के कॉलेज के कई छात्र भी ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिएगांव के बाहर इस बस स्टैंड पर जमा हुए हैं क्योंकि इनके गांवों तक इंटरनेट की पहुंच नहीं है.

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अमीषा बताती हैं, ''ऑनलाइन क्लासेस काफी पहले से शुरू हो चुकी हैं. मैं गांव में पढ़ने वाली छात्रा हूं.हमें नेटवर्क मिलता नहीं है तो क्या करें. कई जगहों पर हमें नेटवर्क तलाशने जाना पड़ता है. जहां नेटवर्क मिलता है वही पढ़ते हैं ये बस स्टैंड भी उन्हीं में से एक है.''देवल-मक्की पंचायत के तीन गांवों शिरवे नागा और कोवे में इंटरनेट नही है. ये गांव बीजेपी नेता और सांसद अनंत कुमार हेगड़े के संसदीय क्षेत्र में हैं. जल्द ही परीक्षा शरू होगी ऐसे में इन छात्रों के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं सिवाय इसके कि वे जहां इंटरनेट मिले, उस जगह को ही 'पाठशाला' मान लें.

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