बेंगलुरु:
गोरखपुर का संसदीय उप चुनाव की हार के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कर्नाटक के गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी ने ये कहते हुए चुटकी ली कि "जिस तरह संसदीय कामकाज के दौरान कुछ सवालों के ऊपर स्टार लगा होता है और कुछ अनस्टार्ड होते हैं, ठीक उसी तरह अब योगी अनस्टार्ड कैम्पेनर हो गए हैं." दरअसल, कर्नाटक के तटीय इलाकों के साथ-साथ राज्य के लगभग सभी बड़े शहरों में योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभा बड़े पैमाने पर करवाने की योजना बीजेपी ने बनाई है, क्योंकि इन इलाकों में हिंदी बोली और समझी जाती है.
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ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या पहले की योजना के तहत ही योगी आदित्यनाथ की रैली कर्नाटक में करवाई जाएगी. बीजेपी प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा कि "एक चुनाव हारने से उनकी हैसियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता. वो अब भी हमारे स्टार कैम्पेनर हैं." वहीं, कर्नाटक कांग्रेस ने भी योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के बीजेपी उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा के एक तस्वीर ट्वीट किया. इस तस्वीर में येदियुरप्पा योगी के सामने सिर झुकाए हुए हैं. कांग्रेस ने इसे कर्नाटक स्वाभिमान की बेइज़्ज़ती बताया है.
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कांग्रेस ने कहा कि " येदियुरप्पा आप कर्नाटक के स्वाभिमान के साथ अब तो कम से कम खिलवाड़ न करें. जो अपनी सीट भी नहीं बचा पाया उसके सामने इस तरह से झुकने की क्या जरूरत है." कर्नाटक में इसी साल अप्रैल या मई में चुनाव होने हैं. इसको देखते हुए योगी आदित्यनाथ बेंगलुरु, मंगलोर और हुबली में रैलियां कर चुके हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावणगेरे मैसूर और बेंगलुरु में सभाएं कर चुके हैं, जबकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार राज्य का चुनावी दौरा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह कर रहे हैं.
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दक्षिण के इस राज्य में साल 2008 में बीजेपी ने अपने बूते पर येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. हालांकि, बाद में पार्टी की अंदरूनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. बीजपी को उम्मीद है कि तटीय इलाकों में संघ की मजबूत पकड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे की वजह से पार्टी यहां दोबारा सरकार बना सकती है.
VIDEO: कर्नाटक में नेताओं ने कसी कमर, बीजेपी-कांग्रेस दोनों सक्रिय
वर्ष 2008 में जहां बीजेपी ने 225 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा की 110 सीटें जीती थी और बाद के उपचुनावों को जीतकार अपनी तादाद 127 तक पहुंच दी थी. वहीं, 2013 में येदियुरप्पा की बगावत की वजह से बीजेपी सिर्फ 40 सीटों पर ही सिमट गई थी और कांग्रेस ने 123 सीटें जीतकर मुख्यंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व में सरकार बनाई, जो अब पांच साल पूरा करने वाली है.
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ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या पहले की योजना के तहत ही योगी आदित्यनाथ की रैली कर्नाटक में करवाई जाएगी. बीजेपी प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा कि "एक चुनाव हारने से उनकी हैसियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता. वो अब भी हमारे स्टार कैम्पेनर हैं." वहीं, कर्नाटक कांग्रेस ने भी योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के बीजेपी उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा के एक तस्वीर ट्वीट किया. इस तस्वीर में येदियुरप्पा योगी के सामने सिर झुकाए हुए हैं. कांग्रेस ने इसे कर्नाटक स्वाभिमान की बेइज़्ज़ती बताया है.
Mr. Yeddyurappa, at-least now, show some self respect, and stop bowing to an outsider who can't even win his own seat!
— Karnataka Congress (@INCKarnataka) March 14, 2018
#KannadaSwabhimana pic.twitter.com/pK2raRdkea
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कांग्रेस ने कहा कि " येदियुरप्पा आप कर्नाटक के स्वाभिमान के साथ अब तो कम से कम खिलवाड़ न करें. जो अपनी सीट भी नहीं बचा पाया उसके सामने इस तरह से झुकने की क्या जरूरत है." कर्नाटक में इसी साल अप्रैल या मई में चुनाव होने हैं. इसको देखते हुए योगी आदित्यनाथ बेंगलुरु, मंगलोर और हुबली में रैलियां कर चुके हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावणगेरे मैसूर और बेंगलुरु में सभाएं कर चुके हैं, जबकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार राज्य का चुनावी दौरा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह कर रहे हैं.
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दक्षिण के इस राज्य में साल 2008 में बीजेपी ने अपने बूते पर येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. हालांकि, बाद में पार्टी की अंदरूनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. बीजपी को उम्मीद है कि तटीय इलाकों में संघ की मजबूत पकड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे की वजह से पार्टी यहां दोबारा सरकार बना सकती है.
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वर्ष 2008 में जहां बीजेपी ने 225 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा की 110 सीटें जीती थी और बाद के उपचुनावों को जीतकार अपनी तादाद 127 तक पहुंच दी थी. वहीं, 2013 में येदियुरप्पा की बगावत की वजह से बीजेपी सिर्फ 40 सीटों पर ही सिमट गई थी और कांग्रेस ने 123 सीटें जीतकर मुख्यंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व में सरकार बनाई, जो अब पांच साल पूरा करने वाली है.
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