विधानसभा में अभी भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं.
नई दिल्ली:
कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर हो रहा उपचुनाव राज्य में मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा नीत भाजपा सरकार की किस्मत तय करेगा. हालांकि, राजनीतिक दलों को उपचुनाव में कम मतदान होने की संभावना है. भाजपा को राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 225 सदस्यीय विधानसभा (स्पीकर सहित) में 15 सीटों (जिन पर उपचुनाव हो रहे हैं) में कम से कम छह सीटें जीतने की जरूरत है. अगर भाजपा छह सीटें नहीं जीतती है तो वह अल्पमत में आ जाएगी. हालांकि, अब भी मास्की और आर आर नगर सीटें रिक्त रहेंगी. अधिकारियों ने बताया कि मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा. कुल 37.78 लाख मतदाता मतदान के लिये योग्य हैं.
Karnataka Bypoll से जुड़ी 7 बड़ी बातें
- ये उपचुनाव 17 विधायकों को अयोग्य करार देने से पैदा हुई रिक्तियों को भरने के लिये हो रहे हैं. इन विधायकों में कांग्रेस और जद(एस) के बागी नेता शामिल थे.
- इन विधायकों की बगावत के चलते जुलाई में एचडी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद(एस) सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ.
- विधानसभा में अभी भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं. बसपा के भी एक विधायक हैं. इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और स्पीकर हैं.
- अयोग्य करार दिए गए 13 विधायकों को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उपचुनाव लड़ने के लिए उच्चतम न्यायालय से इजाजत मिलने के बाद पिछले महीने वे भाजपा में शामिल हो गए थे.
- आज जिन 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें 12 पर कांग्रेस और तीन पर जद (एस) का कब्जा है.
- भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा कि किसी भी उपचुनाव में मतदान प्रतिशत कम होता है. कांग्रेस के भी एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक मतदान प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है. लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को होगा.
- राज्य में ये उपचुनाव 21 अक्टूबर को होने थे लेकिन चुनाव आयोग ने इसे पांच दिसंबर के लिए टाल दिया. दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने अयोग्य करार दिए विधायकों की याचिकाओं की सुनवाई करने का फैसला किया था.