प्रतीकात्मक फोटो
बेंगलुरु:
बेंगलुरु विकास प्राधिकरण एक्ट 1984 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कुछ बदलाव किए हैं। इसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट की रोक भी हट गई है जो पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के जमीन घोटाले का मामला सामने आने के बाद कोर्ट ने लगाई थी। इसके मुताबिक जी केटेगरी की साइट मुख्यमंत्री अपनी मर्जी से किसी को भी नहीं दे सकते।
नए संशोधन के जरिए सिद्धारमैया ने जी केटेगरी में आने वाले प्लॉट्स को कई हिस्सों में बांट दिया है। 30 फीसदी प्लॉट जनसेवा से जुड़े लोगों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं, यानी नेताओं के लिए। 15 फीसदी प्लॉट कला संस्कृति, पत्रकारिता या ऐसे ही दूसरे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान देने वाली शख्सियतों के लिए रखे गए हैं। 10 फीसदी प्लॉट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलकूद में देश व प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों के लिए होंगे। पूर्व सैनिकों, सरकारी सेवा के दौरान मृत कर्मचारियों के परिवार और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पांच-पांच फीसदी यानी कुल 15 फीसदी प्लॉट होंगे। आम लोगों के लिए की जाने वाली नीलामी के लिए 30 फीसदी प्लॉट आरक्षित किए गए हैं।
हालांकि योग्यता के लिए कुछ नियम हैं, जैसे 15 साल तक इस प्रदेश में रहना आवशयक है। लेकिन इसके बावजूद अब आम लोगों के लिए आरक्षित 30 फीसदी के अलावा बचे हुए 70 फीसदी प्लॉट किसी को भी अलॉट किए जा सकते हैं।
क्या हैं जी केटेगरी प्लॉट
यह वे प्लॉट हैं जिन्हें बेंगलुरु विकास प्राधिकरण आज की जरूरतों के मुताबिक लेआउट विकसित कर बाजार से काफी कम कीमत पर बेचता है, ताकि आर्थिक तौर पर अपेक्षाकृत कमजोर लोग शहर में घर बना सकें।
फिलहाल बेंगलुरु शहर में लगभग 2500 प्लाट तैयार हैं जिन्हें 10 लाख से 16 लाख रुपए प्रति प्लाट की दर से बेचा जाना है। साइज़ के हिसाब से इन प्लाटों की बाजार में कीमत 75 लाख रुपये से लेकर सवा करोड़ रुपये तक आंकी जा रही है।
जी केटेगरी प्लॉट्स से जुड़े विवाद
कर्नाटक के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों बीएस येद्दयुरप्पा और एचडी कुमारस्वामी पर इसी कैटेगिरी की जमीन को डीनोटिफाई कर अपने रिश्तेदारों को देने का आरोप है। ऐसे ही एक मामले में येद्दयुरप्पा को जेल जाना पड़ा था। लेकिन इस नए संशोधन पर सभी राजनीतिक दलों की चुप्पी से यही साबित होता है कि विपक्षी दलों यानी बीजेपी और जेडीएस की भी सहमति सरकार के साथ है।
नए संशोधन के जरिए सिद्धारमैया ने जी केटेगरी में आने वाले प्लॉट्स को कई हिस्सों में बांट दिया है। 30 फीसदी प्लॉट जनसेवा से जुड़े लोगों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं, यानी नेताओं के लिए। 15 फीसदी प्लॉट कला संस्कृति, पत्रकारिता या ऐसे ही दूसरे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान देने वाली शख्सियतों के लिए रखे गए हैं। 10 फीसदी प्लॉट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलकूद में देश व प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों के लिए होंगे। पूर्व सैनिकों, सरकारी सेवा के दौरान मृत कर्मचारियों के परिवार और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पांच-पांच फीसदी यानी कुल 15 फीसदी प्लॉट होंगे। आम लोगों के लिए की जाने वाली नीलामी के लिए 30 फीसदी प्लॉट आरक्षित किए गए हैं।
हालांकि योग्यता के लिए कुछ नियम हैं, जैसे 15 साल तक इस प्रदेश में रहना आवशयक है। लेकिन इसके बावजूद अब आम लोगों के लिए आरक्षित 30 फीसदी के अलावा बचे हुए 70 फीसदी प्लॉट किसी को भी अलॉट किए जा सकते हैं।
क्या हैं जी केटेगरी प्लॉट
यह वे प्लॉट हैं जिन्हें बेंगलुरु विकास प्राधिकरण आज की जरूरतों के मुताबिक लेआउट विकसित कर बाजार से काफी कम कीमत पर बेचता है, ताकि आर्थिक तौर पर अपेक्षाकृत कमजोर लोग शहर में घर बना सकें।
फिलहाल बेंगलुरु शहर में लगभग 2500 प्लाट तैयार हैं जिन्हें 10 लाख से 16 लाख रुपए प्रति प्लाट की दर से बेचा जाना है। साइज़ के हिसाब से इन प्लाटों की बाजार में कीमत 75 लाख रुपये से लेकर सवा करोड़ रुपये तक आंकी जा रही है।
जी केटेगरी प्लॉट्स से जुड़े विवाद
कर्नाटक के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों बीएस येद्दयुरप्पा और एचडी कुमारस्वामी पर इसी कैटेगिरी की जमीन को डीनोटिफाई कर अपने रिश्तेदारों को देने का आरोप है। ऐसे ही एक मामले में येद्दयुरप्पा को जेल जाना पड़ा था। लेकिन इस नए संशोधन पर सभी राजनीतिक दलों की चुप्पी से यही साबित होता है कि विपक्षी दलों यानी बीजेपी और जेडीएस की भी सहमति सरकार के साथ है।
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