टाइगर हिल में विजय के बाद भारतीय सैनिक...
देश आज करगिल के दुर्गम इलाके में भारतीय सेना को 17 साल पहले पाकिस्तानी घुसपैठियों (जिनमें पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल थे) पर मिली विजय का जश्न मना रहा है। इस युद्ध में देश के कई बहादुर जवान शहीद हो गए थे। हमारे जवानों ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद मोर्चा नहीं छोड़ा और दुश्मन को मार भगाया था। इन्हीं में से एक थे जांबाज योगेंद्र सिंह यादव, जो 15 गोलियां लगने के बावजूद दुश्मन के बंकर उड़ाते रहे और टाइगर हिल पर विजय में अहम योगदान दिया। पूर्व सेनाध्यक्ष और पीएम मोदी सरकार के मंत्री जनरल वीके सिंह ने योगेंद्र की बहादुरी का बखान करते हुए एक फेसबुक पोस्ट की है, जो वायरल हो रही है। जनरल सिंह ने योगेंद्र के युद्ध कौशल का बखूबी वर्णन किया है। आप भी पढ़िए-
जनरल वीके सिंह ने लिखा है-
टाइगर हिल के 3 बंकरों को फतह करने का मिला था लक्ष्य
यादव को लगीं 3 गोलियां, घायल शेर की तरह टूट पड़े
बंकर में लगा दी छलांग, टूटा हाथ, 15 गोलियां लगीं
योगेंद्र सिंह यादव इस युद्ध में जीवित बच गए थे और उन्हें देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र भी मिल चुका है...योगेंद्र वर्तमान में 18 ग्रेनेडियर्स में सूबेदार हैं...
जनरल वीके सिंह ने लिखा है-
टाइगर हिल के 3 बंकरों को फतह करने का मिला था लक्ष्य
- ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव भारतीय सेना के 18 ग्रेनेडियर्स का हिस्सा थे। 'घातक' कमांडो पलटन के सदस्य ग्रेनेडियर यादव को टाइगर हिल के अतिमहत्वपूर्ण दुश्मन के तीन बंकरों पर कब्ज़ा करने का दायित्व सौंपा गया था।
- योजना यह थी कि 18000 फीट की ऊंचाई वाली टाइगर हिल के उस तरफ से ऊपर चढ़ना है, जिधर से दुश्मन कल्पना भी न कर पाए।
- चढ़ाई दुर्गम थी। 100 फीट से ज्यादा की खड़ी चढ़ाई चढ़ने की थकान को नजरअंदाज करते हुए सैनिकों को गोला बारूद से लैस प्रशिक्षित आतंकियों से भरे उन बंकरों पर हमला करना था, जो दूसरी तरफ से आगे बढ़ने वाले भारतीय सैनिकों को बिना कठिनाई के मार रहे थे।
- फिर क्या था ग्रेनेडियर यादव ने स्वेच्छा से आगे बढ़कर उत्तरदायित्व संभाला, जिसमें उन्हें सबसे पहले पहाड़ पर चढ़कर अपने पीछे आती टुकड़ी के लिए रस्सियों का क्रम स्थापित करना था।
- 3 जुलाई 1999 की अंधेरी रात में मिशन शुरू हुआ। कुशलता से चढ़ते हुए कमांडो टुकड़ी गंतव्य के निकट पहुंची ही थी कि दुश्मन ने मशीनगन, आरपीजी और ग्रेनेड से भीषण हमला बोल दिया।
यादव को लगीं 3 गोलियां, घायल शेर की तरह टूट पड़े
- इस हमले से भारतीय टुकड़ी के अधिकांश सदस्य शहीद हो गए या तितर-बितर हो गए और खुद यादव को 3 गोलियां जा लगीं।
- वीके सिंह ने इस पोस्ट में पाठकों को यह सलाह भी दी, 'मैं चाहूँगा कि कमज़ोर दिल वाले इसके आगे न पढ़ें।'
- इस हमले से ग्रेनेडियर यादव पर यह असर हुआ कि वह घायल शेर की तरह पहाड़ी पर टूट पड़े।
- यादव ने तीन गोलियां लगने के बावजूद खड़ी चढ़ाई के अंतिम 60 फीट अकल्पनीय गति से पार किए। ऊपर पहुंचने के बाद दुश्मन की भारी गोलाबारी ने उनका स्वागत किया।
- यादव ने अपनी दिशा में आती गोलियों को अनदेखा करके दुश्मन के पहले बंकर की तरफ धावा बोल दिया।
- निश्चित मृत्यु को छकाते हुए बंकर में ग्रेनेड फेंककर यादव ने आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया।
बंकर में लगा दी छलांग, टूटा हाथ, 15 गोलियां लगीं
- इतने में उनका ध्यान अपने पीछे आ रही भारतीय टुकड़ी पर हमला करने वाले दूसरे बंकर की तरफ गया। यादव ने जान की परवाह न करते हुए उसी बंकर में छलांग लगा दी, जहां मशीनगन को 4 सदस्यों का आतंकीदल चला रहा था।
- ग्रेनेडियर यादव ने अकेले उन सबको मौत के घाट उतार दिया। ग्रेनेडियर यादव की साथी टुकड़ी तब तक उनके पास पहुंची, तो उसने पाया कि यादव का एक हाथ टूट चुका था और करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं।
- ग्रेनेडियर यादव ने साथियों को तीसरे बंकर पर हमला करने के लिए ललकारा और अपनी बेल्ट से अपना टूटा हाथ बांधकर साथियों के साथ अंतिम बंकर पर धावा बोलकर विजय प्राप्त की।
योगेंद्र सिंह यादव इस युद्ध में जीवित बच गए थे और उन्हें देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र भी मिल चुका है...योगेंद्र वर्तमान में 18 ग्रेनेडियर्स में सूबेदार हैं...
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