कांतिलाल भूरिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश के भाबरा में दिए गए भाषण ने कई हेडलाइंस बटोरीं, लेकिन इस क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया कह रहे हैं कि पीएम मोदी ने आदिवासियों का अपमान किया है. भूरिया का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह इस क्षेत्र के सांसद होने के कारण पीएम के साथ कार्यक्रम में शामिल होने जाना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री उन्हें नहीं ले गए.
भूरिया ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा, 'सोमवार को जीएसटी बिल पर बहस की वजह से मैं दिल्ली से नहीं निकल सका. उसके बाद यहां से जाने का कोई साधन नहीं था इसलिए मैंने प्रधानमंत्री को अपने साथ ले जाने की अर्जी दी थी. यहां से विमान भरकर कई लोग गए लेकिन क्षेत्र के आदिवासी सांसद को नहीं ले जाया गया'
भूरिया का कहना है कि कि वह अपनी नाराजगी दर्ज करने के लिए प्रधानमंत्री को एक और खत भेज रहे हैं. आजादी के सत्तर साल होने पर प्रधानमंत्री मंगलवार को मध्यप्रदेश के भाभरा में स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि में थे. भूरिया ने कहा कि ये एक सरकारी कार्यक्रम था और सांसद होने के नाते उन्हें साथ में ले जाया जाना चाहिए था. भूरिया का कहना था कि विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यक्रम तो आयोजित किया गया, लेकिन विज्ञापनों और परचों में हर जगह आदिवासी उन्मूलन दिवस लिखा गया था जो आदिवासियों का अपमान है. भूरिया ने ये मामला मंगलवार को संसद में भी उठाया जिसका जवाब सरकार ने दिया.
भूरिया ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा, 'सोमवार को जीएसटी बिल पर बहस की वजह से मैं दिल्ली से नहीं निकल सका. उसके बाद यहां से जाने का कोई साधन नहीं था इसलिए मैंने प्रधानमंत्री को अपने साथ ले जाने की अर्जी दी थी. यहां से विमान भरकर कई लोग गए लेकिन क्षेत्र के आदिवासी सांसद को नहीं ले जाया गया'
भूरिया का कहना है कि कि वह अपनी नाराजगी दर्ज करने के लिए प्रधानमंत्री को एक और खत भेज रहे हैं. आजादी के सत्तर साल होने पर प्रधानमंत्री मंगलवार को मध्यप्रदेश के भाभरा में स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि में थे. भूरिया ने कहा कि ये एक सरकारी कार्यक्रम था और सांसद होने के नाते उन्हें साथ में ले जाया जाना चाहिए था. भूरिया का कहना था कि विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यक्रम तो आयोजित किया गया, लेकिन विज्ञापनों और परचों में हर जगह आदिवासी उन्मूलन दिवस लिखा गया था जो आदिवासियों का अपमान है. भूरिया ने ये मामला मंगलवार को संसद में भी उठाया जिसका जवाब सरकार ने दिया.
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