मां के अंतिम संस्कार के लिए विधवा बेटियों ने छत तोड़कर लकड़ियां जुटाईं...
नई दिल्ली:
ओडिशा से आ रही दर्दनाक खबरें कम नहीं हो रहीं. कालाहांडी में दाना मांझी के मामले के बाद ओडिशा में एक और शख्स को अपनी सात साल की बेटी का शव लिए कई किलोमीटर तक पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा था क्योंकि उसे एंबुलेंस से उतार दिया गया था. अब आ रही खबर के मुताबिक, कालाहांडी में चार बेटियों को अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए अपने घर की छत को तोड़कर लकड़ियों का इंतजाम करना पड़ा.
डोकरीपाड़ा गांव में कनक सतपथी नामक 80 साल की महिला भीख मांगकर गुजारा करती थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार की रात उनकी मौत हो गई. उनकी विधवा बेटियों ने मां के अंतिम संस्कार के लिए गांववालों से मदद की गुहार की लेकिन कोई सामने नहीं आया.
इसके बाद चारों बेटियों ने ही मां की अर्थी को चारपाई पर रखा और अंतिम संस्कार स्थल तक लेकर गईं. चूंकि उनके पास दाह संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे, तो उन्होंने घर की छत की लकड़ी से मां को मुखाग्नि दी. मुखाग्नि बड़ी बेटी ने दी.
चार में से तीन बेटियां विधवा हैं जबकि चौथी बेटी का पति उनके साथ नहीं रहता था. सभी बेटियां अपनी मां के साथ ही रहती हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, मां की अर्थी ले जा रही बेटियों का एक स्थानीय शख्स ने वीडियो बना लिया था.
डोकरीपाड़ा गांव में कनक सतपथी नामक 80 साल की महिला भीख मांगकर गुजारा करती थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार की रात उनकी मौत हो गई. उनकी विधवा बेटियों ने मां के अंतिम संस्कार के लिए गांववालों से मदद की गुहार की लेकिन कोई सामने नहीं आया.
इसके बाद चारों बेटियों ने ही मां की अर्थी को चारपाई पर रखा और अंतिम संस्कार स्थल तक लेकर गईं. चूंकि उनके पास दाह संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे, तो उन्होंने घर की छत की लकड़ी से मां को मुखाग्नि दी. मुखाग्नि बड़ी बेटी ने दी.
चार में से तीन बेटियां विधवा हैं जबकि चौथी बेटी का पति उनके साथ नहीं रहता था. सभी बेटियां अपनी मां के साथ ही रहती हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, मां की अर्थी ले जा रही बेटियों का एक स्थानीय शख्स ने वीडियो बना लिया था.
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