नई दिल्ली:
देश में चल रही असहिष्णुता की बहस पर फिल्म अभिनेता शाहरुख़ खान ने अपनी राय क्या जताई, कट्टरपंथी सोच रखने वालों के निशाने पर आ गए। पहला बड़ा हमला बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की तरफ से हुआ, जब उनका ये ट्वीट आया : "शाह रुख रहते भारत में हैं लेकिन उनका मन सदा पाकिस्तान में रहता है। उनकी फिल्में यहां करोड़ों कमाती हैं पर उन्हें भारत असहनशील नज़र आता है। यह देशद्रोह नहीं तो क्या? भारत संयुक्त राष्ट्र का स्थाई सदस्य बनने को है, पाक समेत सभी भारत विरोधी ताक़तें इसके विरुद्ध षड्यंत्र रच रही हैं।''
पर विजयवर्गीय दायरे से बाहर जा चुके हैं और वे पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं ये समझते हुए बीजेपी ने फौरन खुद को बयान से अलग कर लिया। संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने साफ शब्दों में कहा कि कैलाश विजयवर्गीय ने जो कहा है वो बीजेपी की राय नहीं है। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने एनडीटीवी से कहा, "इस देश के लोगों के DNA में सहनशीलता है, असहनशीलता हो ही नहीं सकता है। मेरी फिल्म जगत के लोगों से बात हुई है। सभी चाहते हैं कि देश में सौहार्दपूर्ण माहौल रहे।''
कैलाश विजयवर्गीय को तब और भी बड़ा झटका लगा जब संघ ने भी उनका साथ नहीं दिया। संघ विचारक राकेश सिन्हा ने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी और आरएसएस दोनों ने कैलाश विजयवर्गीय के बयान की भर्तसना की है।''
कुल मिलाकर तकरीबन 17 घंटे चौतरफा हमला झेलने और अकेले पड़ने के बाद उन्होंने अपना बयान वापस लिया। कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया, "अगर भारत में असहनशीलता होती तो अमिताभ के बाद सबसे ज़्यादा लोकप्रिय अभिनेता शाहरुख न होते। मेरा आशय किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, मैं ट्वीट वापस लेता हूं।"
आम लोगों की आलोचना झेलने और पार्टी की फटकार के बाद कैलाश विजवर्गीय को अपना बयान वापस लेना पड़ा लेकिन इस विवाद से ये सवाल खड़ा होता है कि क्यों बीजेपी के ज़िम्मेदार नेता बार-बार इस तरह के विवादित बयान देते हैं जिससे देश में असहनशीलता के सवाल पर तनाव बढ़ता है और पार्टी को शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है।
गौरतलब है कि अपने 50वें जन्मदिन के मौके पर शाहरुख खान ने NDTV पर बरखा दत्त से बात करते हुए देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यह बेहद अपमानजनक और शर्मनाक है कि मुझे मेरी राष्ट्रभक्ति साबित करनी पड़ती है। शाहरुख ने कहा था कि पश्चिमी देशों में आपकी राय का सम्मान होता है, लेकिन हमारे देश में, मुझे लगता है कि अगर मेरी राय आपके साथ नहीं मिलती है तो यह विवाद को जन्म दे देती है। शाहरुख ने यह भी कहा कि मैं जो सोचता हूं अक्सर वो बोल नहीं पाता हूं, क्योंकि मुझे मेरी फिल्मों को लेकर चिंता होती है।
उन्होंने कहा, हमारे मांस खाने की आदतों से हमारे धर्मों का निर्धारण नहीं हो सकता। 'किंग खान' ने कहा, मेरे घर में हर कोई अपना-अपना धर्म मानने को आजाद है। मेरे बच्चे असमंजस में रहते हैं कि वे हिन्दू हैं या मुस्लिम। मैं पूछता हूं ईसाई क्यों नहीं।
पर विजयवर्गीय दायरे से बाहर जा चुके हैं और वे पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं ये समझते हुए बीजेपी ने फौरन खुद को बयान से अलग कर लिया। संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने साफ शब्दों में कहा कि कैलाश विजयवर्गीय ने जो कहा है वो बीजेपी की राय नहीं है। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने एनडीटीवी से कहा, "इस देश के लोगों के DNA में सहनशीलता है, असहनशीलता हो ही नहीं सकता है। मेरी फिल्म जगत के लोगों से बात हुई है। सभी चाहते हैं कि देश में सौहार्दपूर्ण माहौल रहे।''
कैलाश विजयवर्गीय को तब और भी बड़ा झटका लगा जब संघ ने भी उनका साथ नहीं दिया। संघ विचारक राकेश सिन्हा ने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी और आरएसएस दोनों ने कैलाश विजयवर्गीय के बयान की भर्तसना की है।''
कुल मिलाकर तकरीबन 17 घंटे चौतरफा हमला झेलने और अकेले पड़ने के बाद उन्होंने अपना बयान वापस लिया। कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया, "अगर भारत में असहनशीलता होती तो अमिताभ के बाद सबसे ज़्यादा लोकप्रिय अभिनेता शाहरुख न होते। मेरा आशय किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, मैं ट्वीट वापस लेता हूं।"
आम लोगों की आलोचना झेलने और पार्टी की फटकार के बाद कैलाश विजवर्गीय को अपना बयान वापस लेना पड़ा लेकिन इस विवाद से ये सवाल खड़ा होता है कि क्यों बीजेपी के ज़िम्मेदार नेता बार-बार इस तरह के विवादित बयान देते हैं जिससे देश में असहनशीलता के सवाल पर तनाव बढ़ता है और पार्टी को शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है।
गौरतलब है कि अपने 50वें जन्मदिन के मौके पर शाहरुख खान ने NDTV पर बरखा दत्त से बात करते हुए देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यह बेहद अपमानजनक और शर्मनाक है कि मुझे मेरी राष्ट्रभक्ति साबित करनी पड़ती है। शाहरुख ने कहा था कि पश्चिमी देशों में आपकी राय का सम्मान होता है, लेकिन हमारे देश में, मुझे लगता है कि अगर मेरी राय आपके साथ नहीं मिलती है तो यह विवाद को जन्म दे देती है। शाहरुख ने यह भी कहा कि मैं जो सोचता हूं अक्सर वो बोल नहीं पाता हूं, क्योंकि मुझे मेरी फिल्मों को लेकर चिंता होती है।
उन्होंने कहा, हमारे मांस खाने की आदतों से हमारे धर्मों का निर्धारण नहीं हो सकता। 'किंग खान' ने कहा, मेरे घर में हर कोई अपना-अपना धर्म मानने को आजाद है। मेरे बच्चे असमंजस में रहते हैं कि वे हिन्दू हैं या मुस्लिम। मैं पूछता हूं ईसाई क्यों नहीं।
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