दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंग रेप केस में शामिल नाबालिग को फिलहाल रिहा नहीं किया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 22 दिसंबर को नाबालिग को सुधार गृह से तो निकाल लिया जाएगा लेकिन उसे 'बरी' नहीं किया जाएगा। एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार 21 साल के हो चुके इस आरोपी को एक साल के लिए अब एक एनजीओ की निगरानी में रहना होगा।
नाबालिग की होने वाली रिहाई की खबर से जनता में भारी आक्रोश के बीच दिल्ली पुलिस ने आरोपी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराओं के तहत बंदी बनाए रखने का विचार किया है। उधर निर्भया के अभिभावकों ने नाबालिग का चेहरा दिखाए जाने की मांग की है, साथ ही उसकी रिहाई रोकने के लिए उन्होंने गृह मंत्रालय, अदालत और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिकाएं भी दायर की हैं।
'सोचने का नहीं, करने का वक्त'
इस दर्दनाक वारदात की शिकार बनी 'निर्भया' के पिता बद्रीनाथ ने एनडीटीवी से कहा है कि अब पुलिस के सोचने नहीं, कुछ करने का वक्त है। एक अपराधी के पास कोई अधिकार नहीं होने चाहिए। इस खौफनाक जुर्म को अंजाम देने वाले आरोपी में शामिल नाबालिग शख्स उस वक्त 18 साल का था और उसे तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया था।
अपराध की जघन्यता को देखते हुए नाबालिग को मिली इस सज़ा से कई लोगों में असंतुष्टि नज़र आई। ऐसी मांग उठने लगी की गंभीर अपराधों में शामिल नाबालिगों को मिलने वाली सज़ा के कानून में बदलाव किए जाने चाहिए। इस अपराध में शामिल बाकी चार अपराधियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई है, वहीं पांचवा अपराधी जेल में मृत पाया गया था।
बद्रीनाथ और उनकी पत्नी का कहना है कि नाबालिग ही उनकी बेटी की मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है और उस रात बलात्कार करने वाले सभी अपराधियों में से वही सबसे क्रूर था। अभिभावक की शिकायत के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। नाबालिग की रिहाई से जनता के आक्रोश की आशंका के चलते गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से राय मांगी है।
नाबालिग की होने वाली रिहाई की खबर से जनता में भारी आक्रोश के बीच दिल्ली पुलिस ने आरोपी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराओं के तहत बंदी बनाए रखने का विचार किया है। उधर निर्भया के अभिभावकों ने नाबालिग का चेहरा दिखाए जाने की मांग की है, साथ ही उसकी रिहाई रोकने के लिए उन्होंने गृह मंत्रालय, अदालत और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिकाएं भी दायर की हैं।
'सोचने का नहीं, करने का वक्त'
इस दर्दनाक वारदात की शिकार बनी 'निर्भया' के पिता बद्रीनाथ ने एनडीटीवी से कहा है कि अब पुलिस के सोचने नहीं, कुछ करने का वक्त है। एक अपराधी के पास कोई अधिकार नहीं होने चाहिए। इस खौफनाक जुर्म को अंजाम देने वाले आरोपी में शामिल नाबालिग शख्स उस वक्त 18 साल का था और उसे तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया था।
अपराध की जघन्यता को देखते हुए नाबालिग को मिली इस सज़ा से कई लोगों में असंतुष्टि नज़र आई। ऐसी मांग उठने लगी की गंभीर अपराधों में शामिल नाबालिगों को मिलने वाली सज़ा के कानून में बदलाव किए जाने चाहिए। इस अपराध में शामिल बाकी चार अपराधियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई है, वहीं पांचवा अपराधी जेल में मृत पाया गया था।
बद्रीनाथ और उनकी पत्नी का कहना है कि नाबालिग ही उनकी बेटी की मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है और उस रात बलात्कार करने वाले सभी अपराधियों में से वही सबसे क्रूर था। अभिभावक की शिकायत के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। नाबालिग की रिहाई से जनता के आक्रोश की आशंका के चलते गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से राय मांगी है।
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