यह ख़बर 12 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

भारत में भी नहीं सुलझती पत्रकारों की हत्या की गुत्थी

खास बातें

  • अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था की ओर से बनाए गए माफी सूचकांक 2011 के अनुसार पत्रकारों की हत्या की गुत्थी न सुलझा सकने वाले देशों में भारत 13वें स्थान पर आता है।
नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था की ओर से बनाए गए माफी सूचकांक 2011 के अनुसार पत्रकारों की हत्या की गुत्थी न सुलझा सकने वाले देशों में भारत 13वें स्थान पर आता है। सूचकांक के अनुसार भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 10वें और बांगलादेश 11वें स्थान पर है। मुंबई में एक वरिष्ठ संवाददाता की हत्या के साथ ही पत्रकारों की हत्या से जुड़े मामलों के नहीं सुलझने की बात एक बार फिर सामने आ गई है। सूचकांक में ऐसे 13 देशों को शामिल किया गया है, जहां 1 जनवरी, 2001 से 31 दिसंबर 2010 के बीच हुए पत्रकारों की हत्या के पांच या ज्यादा मामले अनसुलझे हैं। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सात अनसुलझे मामलों के साथ 13वें स्थान पर है। सीपीजे के अनुसार एक साल में पूरी दुनिया में होने वाले कार्य संबंधी हत्याओं में 70 प्रतिशत मामले पत्रकारों के हैं। सूचकांक में पत्रकारों की हत्या की अनसुलझी गुत्थियों का प्रतिशत वहां की जनसंख्या के अनुपात में निकाला गया है। सूचकांक में ऐसे मामलों को अनसुलझा माना गया है, जिसमें अभी तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया है। सूचकांक के मुताबिक इराक पहले स्थान पर है। वहां चल रहे विरोध प्रदर्शनों और खतरनाक अभियानों के दौरान बहुत ज्यादा संख्या में पत्रकारों की हत्या हुई है। इराक में 92 मामले अभी तक अनसुलझे हैं, जबकि फिलीपींस में इनकी संख्या 56 है। इसके बाद श्रीलंका और कोलंबिया का स्थान आता है।


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