नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी के दबाव से चाहे संजय जोशी ने बीजेपी कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया हो लेकिन पार्टी में उनका कद और रसूख बरकरार है।
जोशी पहले की तरह यूपी में बीजेपी का काम देखते रहेंगे। जोशी बुधवार को लखनऊ जाकर मेयर और नगरपालिका चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने की बैठक में हिस्सा लेंगे। स्थानीय निकाय के चुनाव के बाद वह लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुटेंगे।
बीजेपी की मजबूरी है कि उसे जोशी भी चाहिए और मोदी भी... इसलिए फ़िलहाल तो यही फार्मूला है कि मोदी गुजरात में तो जोशी यूपी में काम करेंगे।
गुजरात चुनाव के बाद क्या होगा अभी पार्टी इस बारे में सोचना नहीं चाहती।
गुजरात में मोदी के हाथ में सत्ता और संगठन दोनों हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में जोशी की पकड़ मज़बूत है। यही दोनों के बीच टकराव की भी वजह है। लेकिन यूपी की जिम्मेदारी जोशी को ही देकर पार्टी ने यह साफ किया है कि मोदी की हर बात मानना उसके लिए जरूरी नहीं है।
जोशी पहले की तरह यूपी में बीजेपी का काम देखते रहेंगे। जोशी बुधवार को लखनऊ जाकर मेयर और नगरपालिका चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने की बैठक में हिस्सा लेंगे। स्थानीय निकाय के चुनाव के बाद वह लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुटेंगे।
बीजेपी की मजबूरी है कि उसे जोशी भी चाहिए और मोदी भी... इसलिए फ़िलहाल तो यही फार्मूला है कि मोदी गुजरात में तो जोशी यूपी में काम करेंगे।
गुजरात चुनाव के बाद क्या होगा अभी पार्टी इस बारे में सोचना नहीं चाहती।
गुजरात में मोदी के हाथ में सत्ता और संगठन दोनों हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में जोशी की पकड़ मज़बूत है। यही दोनों के बीच टकराव की भी वजह है। लेकिन यूपी की जिम्मेदारी जोशी को ही देकर पार्टी ने यह साफ किया है कि मोदी की हर बात मानना उसके लिए जरूरी नहीं है।
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