6 सितंबर को होंगे JNU के छात्रसंघ चुनाव, इस बार इन मुद्दों पर उम्मीदवार ठोंक रहे हैं ताल

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र संघ के चुनाव 6 सितंबर को होंगे और इसके परिणाम दो दिन बाद घोषित किये जाएंगे.

6 सितंबर को होंगे JNU के छात्रसंघ चुनाव, इस बार इन मुद्दों पर उम्मीदवार ठोंक रहे हैं ताल

JNU में छात्र संघ चुनाव 6 सितंबर को होंगे और परिणाम 8 सितंबर को घोषित किये जाएंगे.

खास बातें

  • 6 सितंबर को होंगे छात्रसंघ के चुनाव
  • 8 सितंबर को घोषित होंगे परिणाम
  • अलग-अलग मुद्दों पर लड़ा जा रहा है चुनाव
नई दिल्ली :

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र संघ के चुनाव 6 सितंबर को होंगे और इसके परिणाम दो दिन बाद घोषित किये जाएंगे. चुनाव समिति ने बताया कि मतदान दो चरणों में सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर एक बजे तथा दोपहर ढाई बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक होगा. मतगणना (JNU Student Union Election) उसी दिन रात नौ बजे से की जाएगी. चुनाव परिणाम 8 सितंबर को घोषित किया जाएगा. आपको बता दें कि इस बार लेफ्ट यूनिटी की तरफ से आईशी घोष अध्यक्ष पद की उम्मीदवार हैं. तो वहीं, एबीवीपी ने मनीष जांगिड़ को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा है. इसी तरह, एनएसयूआई की तरफ से प्रशांत कुमार, बापसा की तरफ से जितेंद्र सुना, छात्र राजद की तरफ से प्रियंका भारती अध्यक्ष पद पर ताल ठोंक रही हैं. आपको बता दें कि चुनाव से पहले राजद, बापसा और एनएसयूआई के बीच गठबंधन की चर्चा थी लेकिन कई चरणों की बातचीत के बाद कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद पार्टियों ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है.  

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एबीवीपी को आर्टिकल 370 का सहारा :
जेएनयू में बुधवार देर रात को प्रेज़ीडेंशियल डिबेट हुई. आपको बता दें कि इस बहस में अलग-अलग पैनल के उम्मीदवार छात्रों के सामने अपनी और मुद्दे रखते हैं. बुधवार को हुई बहस में उम्मीदवारों ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर जान लेने जैसे राष्ट्रीय मुद्दे उठाए. एबीवीपी उम्मीदवार मनीष जांगिड़ ने ‘भारत माता की जय' और ‘वंदे मातरम' के नारों के साथ डिबेट शुरू की. उन्होंने कहा, ‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह नौ फरवरी को विश्वविद्यालय पर धब्बा लगाने के लिए जिम्मेदार है. जब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाया गया तो हम इस कदम का जश्न मना रहे थे लेकिन वामपंथी सेना को गालियां दे रहे थे.' उन्होंने कहा कि निर्वाचित होने पर एबीवीपी ‘कैम्पस केंद्रित' राजनीति का मॉडल पेश करेगी. बहस के दौरान वाम समर्थकों और एनएसयूआई सदस्यों ने लगातार जांगिड़ के खिलाफ नारेबाजी की. 

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एनएसयूआई ने उठाया नौकरियों का मुद्दा :
कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के उम्मीदवार प्रशांत कुमार ने देशद्रोह विवाद का जिक्र करने के लिए जांगिड़ की आलोचना की और कहा कि यह मामला ‘न्यायालय के विचाराधीन' है. इस पर उन्हें कई वाम और बापसा (बीएपीएसए) समर्थकों से तालियां मिलीं. उन्होंने कहा, ‘हमें दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था लेकिन नौकरियां कहां हैं? नजीब के साथ जो हुआ मैं उसकी निंदा करता हूं.' जेएनयू छात्र नजीब कैम्पस से लापता हो गया था और आज तक उसका कोई पता नहीं चल पाया.

लेफ्ट यूनिटी ने उठाया मॉब लिंचिंग का मुद्दा : 
वाम एकता के अध्यक्ष पद की उम्मीदवार आईशी घोष ने पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान कलबुर्गी के विचारों से समर्थन जताया. उन्होंने कहा कि वे अखलाक, जुनैद और पहलू खान को नहीं भूलेंगे जिनकी अलग-अलग घटनाओं में भीड़ ने कथित तौर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. एबीवीपी और वाम समर्थकों के बीच झड़प के कारण घोष का भाषण थोड़ी देर के लिए बाधित हुआ.  

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छात्र राजद ने उठाया शिक्षा में निजीकरण का मामला :
बापसा उम्मीदवार जितेंद्र सुना ने कश्मीरियों को सलाम करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की जो ‘अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं' और साथ ही असमियों को भी सलाम किया ‘जो अपनी नागरिकता के लिए लड़ रहे हैं.'' सुना ने कहा कि वह मजदूर थे और उनकी प्रेज़ीडेंशियल डिबेट में ‘‘उनकी जिंदगी का संघर्ष'' दिखता है.  दूसरी ओर, छात्र राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार प्रियंका भारती ने कहा कि सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है और वह वंचित पृष्ठभूमियों से आने वाले छात्रों को इससे दूर करना चाहती है. अनुच्छेद 370 हटाने के लिए केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ये लोग केवल कश्मीरी लड़कियां और वहां जमीन चाहते हैं लेकिन कश्मीरी नहीं. (इनपुट-भाषा से भी)