बेंगलुरु (Bengaluru) में ईसा मसीह की मूर्ति हटाए जाने पर मशहूर गीतकार और कवि जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हालांकि वह ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन फिर भी इस बात को जानने के बाद उनका सिर शर्म से झुक गया है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि भारत में पहला चर्च (पुर्तगाल के क्षेत्र को छोड़कर) मुगल शासक अकबर के ही शासनकाल में बनाया गया था. इस चर्च को बनाने के लिए अकबर ने अपनी मंजूरी दी थी.
जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, 'हालांकि मैं नास्तिक हूं, फिर भी भारतीय होने के नाते मेरा सिर शर्म से झुक गया है क्योंकि बेंगलुरु के पास कर्नाटक सरकार के आदेश के बाद यीशु की एक मूर्ति को पुलिस ने क्रेन से हटा दिया.' एक अन्य ट्वीट में वह लिखते हैं, 'भारत में पहला चर्च (पुर्तगाल के क्षेत्र को छोड़कर) अकबर के शासनकाल में उनकी इजाजत और शुभकामनाओं के साथ आगरा में बनाया गया था.'
Although I am an Athiest I hang my head in shame as an Indian that near Banglore a statue of Jesus was removed with a crane by the police following the orders of Karnataka Govt.
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 7, 2020
The first church made in India ( out of Portuguese territories) was in Agra during Akbar ‘s regime with his permission and blessings .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 7, 2020
बताते चलें कि बीते शुक्रवार को बेंगलुरु से करीब 40 किलोमीटर दूर देवनाहल्ली शहर में ईसा मसीह की प्रतिमा और 14 क्रॉस स्टेशनों को बगैर नुकसान पहुंचाए क्रेन की मदद से हटाया गया और इन्हें चर्च प्राधिकारण को सौंप दिया गया. चर्च प्राधिकरण के प्रवक्ता जे.ए. कंथराज ने इसकी निंदा करते हुए कहा, 'करीब 15 दिन पहले तहसीलदार (एस. अजीत कुमार राय) ने सभी समुदायों के लोगों को बुलाया था और कहा था कि धर्म परिवर्तन को लेकर शिकायतें मिल रही हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था. जिस जमीन पर ईसा मसीह की प्रतिमा थी, वह जमीन सरकार ने क्रिश्चियन समुदाय को कब्रगाह के लिए अलॉट की थी.' बताते चलें कि मूर्ति हटाने से पहले जबरन धर्म परिवर्तन की अफवाहें सामने आई थीं.
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