जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने रविवार को राज्य में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी से इनकार करते हुए कहा कि संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिंदगियां बचीं. मलिक ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है. पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि राज्य में प्रतिबंध कब तक जारी रहेंगे, सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने कहा, 'अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है?'
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मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी. उन्होंने कहा, 'हमारा रवैया था कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए. 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे.' मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कहीं भी दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और लोगों की खरीद के लिए पर्याप्त उपलब्धता है. उन्होंने कहा, 'वास्तव में, ईद में हमने लोगों के घरों पर मीट, सब्जियों और अंडों की आपूर्ति की.'
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सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे. जेटली का शनिवार को यहां एम्स में निधन हो गया था. जेटली को याद करते हुए मलिक ने कहा कि वह जेटली ही थे जिन्होंने पिछले साल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लेने के लिए उन पर जोर डाला था. उन्होंने कहा, 'अरुण जेटली ने मुझे सलाह दी थी कि मैं राज्यपाल की जिम्मेदारी लूं. उन्होंने मुझसे कहा कि यह ऐतिहासिक होगा. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि उनकी ससुराल के लोग जम्मू से हैं.'
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