किश्तवाड़ में जंगलों में लगी आग में तबाह गांव
नई दिल्ली:
जम्मू के किश्तवाड़ के वारवन प्रखंड के सुखनोई गांव में आग लग जाने की वजह से गांव के लगभग सारे घर तबाह हो गए. घरों में रहने वाले माल मवेशी को खासा नुकसान पहुंचा है. सैकड़ों लोग बेघऱ हो गए है और सैकड़ों मवेशी की मौत हो गई है.
आग से परेशान लोग ठंड में खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं. आग लगने की घटना शुक्रवार देर रात की है. अभी तक आग लगने की वजहों का पता नहीं चल पाया है. फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है, लेकिन नुकसान का अभी पूरा अंदाजा नहीं लग पाया है.
किश्तवाड़ से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर वारवन के जंगलों में जहां ये लोग रहते है वहां सारे घर लकड़ी के बने हुए हैं और सब एक दूसरे से जुड़े हैं. ठंड से बचने के लिए लोगों ने बड़ी तादाद में घास और लकड़ी इकट्ठा कर रखी थी और आग लगने की वजह से सब जल गया.
अब लोगों के सामने जीविका का कोई साधन बचा नहीं रह गया है. हालत यह है कि यहां न तो बिजली है और न टेलीफोन लाइन की सुविधा. अगर सड़क मार्ग से कोई जाना चाहे तो यहां पहुंचने के लिए 50 किलोमीटर गाड़ी से और 35 किलोमीटर पैदल जंगलों में चलना पड़ता है.
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक घटना के दो दिन बाद किश्तवाड़ के जिलाधिकारी और दूसरे अधिकारी हादसे वाली जगह पर पहुंचे. इन लोगों ने पीड़ित लोगों तक राहत पहुंचाई और प्रशासन की तरफ से मदद का आश्वासन दिया. बावजूद अभी तक उस स्तर पर मदद और राहत नहीं पहुंची है, जितनी उन्हें दरकार है.
आग से परेशान लोग ठंड में खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं. आग लगने की घटना शुक्रवार देर रात की है. अभी तक आग लगने की वजहों का पता नहीं चल पाया है. फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है, लेकिन नुकसान का अभी पूरा अंदाजा नहीं लग पाया है.
किश्तवाड़ से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर वारवन के जंगलों में जहां ये लोग रहते है वहां सारे घर लकड़ी के बने हुए हैं और सब एक दूसरे से जुड़े हैं. ठंड से बचने के लिए लोगों ने बड़ी तादाद में घास और लकड़ी इकट्ठा कर रखी थी और आग लगने की वजह से सब जल गया.
अब लोगों के सामने जीविका का कोई साधन बचा नहीं रह गया है. हालत यह है कि यहां न तो बिजली है और न टेलीफोन लाइन की सुविधा. अगर सड़क मार्ग से कोई जाना चाहे तो यहां पहुंचने के लिए 50 किलोमीटर गाड़ी से और 35 किलोमीटर पैदल जंगलों में चलना पड़ता है.
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक घटना के दो दिन बाद किश्तवाड़ के जिलाधिकारी और दूसरे अधिकारी हादसे वाली जगह पर पहुंचे. इन लोगों ने पीड़ित लोगों तक राहत पहुंचाई और प्रशासन की तरफ से मदद का आश्वासन दिया. बावजूद अभी तक उस स्तर पर मदद और राहत नहीं पहुंची है, जितनी उन्हें दरकार है.
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