पूर्व नौकरशाह और जम्मू-कश्मीर के राजनीतिज्ञ शाह फैसल की हैबियस कॉरपस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में जम्मू-कश्मीर सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामा में कहा गया है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. शाह फैसल ने पर्यटक वीजा प्राप्त किया और छात्र वीजा नहीं. दिल्ली से तुर्की से फ्रैंकफर्ट से बोस्टन तक के टिकट के अलावा उन्होंने अदालत को संतुष्ट करने के लिए कुछ भी नहीं दिखाया कि वह शैक्षणिक उद्देश्य से यात्रा कर रहे थे. उनके पासपोर्ट पर बी 1 / बी 2 वीज़ा चिपकाया गया है जो छात्र वीजा नहीं होने के कारण उन्हें यूएसए में पढ़ने का अधिकार नहीं देता.
हलफनामे में कहा गया है कि इस बात को स्वीकार करने के लिए, कि किसी राजनीतिक संगठन का नेता, जो हमारे देश के संवैधानिक कार्यों के बारे में बहुत मुखर है, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अकादमिक पाठ्यक्रम के लिए विदेश जा रहा था, याचिकाकर्ता का पक्ष गलत तथ्य पर है, जिसके आधार पर याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी.
याचिकाकर्ता को होटल सेंटूर में रखा गया है जो श्रीनगर का एक पॉश होटल है और उनकी पत्नी ने उनसे होटल में मुलाकात की है. राज्य पुलिस से अनुरोध के साथ LOC जारी की गई थी. श्रीनगर पहुंचने पर, उन्होंने आगमन टर्मिनल पर लोगों की सभा को संबोधित करना शुरू किया. इससे शांति भंग होने की संभावना हुई क्योंकि उन्होंने देश की अखंडता के खिलाफ एकत्रित व्यक्तियों को उकसाना शुरू कर दिया. एयरपोर्ट अथॉरिटी और पुलिस द्वारा उक्त कार्रवाई देखी गई. चेतावनी दिए जाने के बाद भी उन्होंने गतिविधियों को जारी रखा जिससे माहौल अनियंत्रित हो गया.
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हलफ़नामे में यह भी कहा गया कि 14 अगस्त को उनके भाषण और अन्य गतिविधियों की वजह से शांति भंग होने की आशंका बढ़ गई थी. लिहाज़ा हिरासत में लिए गए फैसल को शांति बनाए रखने की शर्त पर मजिस्ट्रेट ने 50 हज़ार रुपये के बांड और सिक्योरिटी देकर रिहा करने की पेशकश की. लेकिन फैसल ने इससे इनकार कर दिया. इस पर मजिस्ट्रेट ने उनको हिरासत में ही रखने का आदेश देकर 24 अगस्त को मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था.
VIDEO : नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल गिरफ्तार
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