जयपुर साहित्य उत्सव की शुरुआत सूफियाना संगीत की महक से हुई। 5 दिन चलने वाला यह साहित्य उत्सव देश-विदेश से मेहमानों को जयपुर तक खींच लाता है। सोनम कालरा की आवाज़ में कबीर के दोहे, मोको कहाँ तू ढूंढे रे बन्दे और अंग्रेजी हिम एबाइड विद में के गायन के बाद, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने औपचारिक रूप से उत्सव का उद्घाटन किया।
उत्सव में इस बार मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं नोबेल पुरस्कार विजेता सर वीस नायपॉल जिनकी किताब 'अ हाउस फॉर मि. बिस्वास' के 50 साल पूरे हो गए हैं। ये उत्सव उनके इस किताब को समर्पित है जिसके पब्लिकेशन के बाद इंडियन राइटर्स इन इंग्लिश को सम्मानजनक तरीके से देखा जाने लगा। लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी किताब की चर्चा सुनते हुए और सम्मान से भावुक हो उठे सर विद्या मंच पे ही रो पड़े, थैंक्यू थैंक्यू के आलावा वो कुछ नहीं बोल सके।
सर विद्या के साथ साथ 300 ऐसे विदेशी लेखक यहां आए हैं जो दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं, अमेरिकी ट्रेवल राइटर पॉल थेओरुक्स, चीनी लेहक जंग चांग, जैसे लेखकों को यहां सिर्फ सुना ही नहीं जा सकता, पाठक उनसे रू-ब-रू भी हो सकते हैं।
साथ ही सरहद पार से आई पाकिस्तानी लेखकों की मौजूदगी भी इस बात की गवाह है कि साहित्य के सामने सरहद की लकीरें मिट जाती है। युवा पाकिस्तानी लेखक बिलाल तनवीर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सांझी संस्कृति ऐसी है कि वो एक दूसरे के बिना अधूरी है।
लेकिन, लेखकों और साहित्यकारों के आलावा इस उत्सव में फ़िल्मी जगत की हस्तियां भी भाग ले रहे है। गिरीश कर्नाड और नसीरुद्दीन शाह ने अपने फ़िल्मी सफर के कई ख़ास पहलुओं को लोगों के साथ बांटा।
ज़ाहिर है कि गुलाबी नगरी में सूफी संगीत और साहित्य के इन रंगों से यहां 5 दिन के लिए सही, एक अलग ही रौनक रहेगी।
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