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This Article is From Nov 22, 2021

इसरो जासूसी केस: वैज्ञानिक को फंसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस व IB अफसरों से मांगा जवाब 

2018 में डॉ नंबी नारायणन को उनकी अवैध गिरफ्तारी और हिरासत में यातना के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में जांचकर्ताओं द्वारा बड़ी साजिश की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज डीके जैन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था.

इसरो जासूसी केस: वैज्ञानिक को फंसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस व IB अफसरों से मांगा जवाब 
वैज्ञानिक को कथित रूप से फंसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस व IB अफसरों से मांगा जवाब
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से इसरो जासूसी केस में फंसाने के मामले में पुलिस अफसरों और IB अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. CBI ने केरल हाईकोर्ट के अफसरों को अग्रिम जमानत देने के फैसले को चुनौती दी है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को करेगी. दरअसल CBI ने पुलिस अधिकारियों एस विजयन, थंपी एस दुर्गादत्त के साथ-साथ आरबी श्रीकुमार (जो बाद में गुजरात DGP बने) और IB के एक अन्य पूर्व अधिकारी एस जयप्रकाश को दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ याचिका दायर की है .

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CBI ने कहा है कि आईबी के अधिकारियों ने 4 वैज्ञानिकों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रताड़ित किया, जबकि उनका जांच से कोई लेना-देना नहीं था. उन्हें हिरासत में लेने के कारण क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन परियोजना की तकनीक का आविष्कार 10-20 साल पीछे चला गया. अगर उन्हें अग्रिम जमानत दी जाती है, तो जांच पटरी से उतर जाएगी.

वैज्ञानिकों को इस मामले में गलत तरीके से शामिल किया गया था. ये वैज्ञानिक क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन परियोजना की तकनीक के आविष्कार में शामिल थे. उन्हें हिरासत में लेने के कारण ये आविष्कार 10-20 साल पीछे चला गया.

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गौरतलब है कि 2018 में डॉ नंबी नारायणन को उनकी अवैध गिरफ्तारी और हिरासत में यातना के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में जांचकर्ताओं द्वारा बड़ी साजिश की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज डीके जैन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था. अप्रैल 2021 में जस्टिस जैन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की. बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने CBI को बड़े षड्यंत्र में उसके द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के आधार पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.


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