नई दिल्ली:
व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को सुप्रीम कोर्ट में मान लिए जाने से सबसे ज़्यादा ख़ुश होने वालों में दिग्विजय सिंह शामिल हैं। आख़िर इसके लिए वह लंबे समय से दबाव जो बना रहे थे। लेकिन सवाल है कि क्या सीबीआई जांच असल में शिवराज के लिए पॉलिटिकल सेफ़ पैसेज है? क्योंकि राजनीति में कुछ भी संभव है।
सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच को मंज़ूरी दी, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसे बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की नैतिक हार बताया, लेकिन कोर्ट का यही फ़ैसला शिवराज के लिए एक राजनीतिक जीवनदान भी लेकर आया है।
शिवराज पर इस्तीफ़े का जो दबाव बना था, मामला सीबीआई को सौंपे जाने के बाद से वह अब ख़त्म हो गया है। क्योंकि अगर अब कांग्रेस इस्तीफा मांगती है, तो शिवराज कहेंगे कि सीबीआई जांच चल रही है, मैं क्यों दूं इस्तीफा!
शिवराज सिंह सालों से सीबीआई जांच की मांग को ठुकराते आ रहे थे, लेकिन दिग्विजय सिंह अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर पहुंच गए, तो शिवराज भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की अर्ज़ी लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी विरोध नहीं किया। इससे हालात अब उल्टे हो गए हैं।
व्यापमं की जांच जब तक मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई एसटीएफ़ के हवाले थी, शिवराज पर लीपापोती के आरोप को लेकर नैतिक दबाव था। लगातार हो रही संदेहास्पद मौतों ने उनके लिए और राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर दी थी। अब दिग्विजय भी सीधे तौर पर उनसे इस्तीफा नहीं मांग रहे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह से जब एनडीटीवी इंडिया ने पूछा कि अब भी क्या आप कठोर शब्दों में शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफ़ा मांग रहे हैं? दिग्विजय ने जवाब दिया, कांग्रेस मांग रही है, तो मैं भी पार्टी के साथ खड़ा हूं।
अब सारा दारोमदार सीबीआई पर है कि वो व्यापमं की कितनी गहराई में जाकर कितनी बड़ी मछलियों तक पहुंच पाती है या फिर ऊपर-ऊपर पानी मार कर निकल जाती है। सीबीआई जांच में जो निकल कर आएगा और जब भी निकल कर आएगा तब आएगा, लेकिन ये तो तय है कि फ़िलहाल शिवराज का सीएम पद नहीं जाएगा।
ख़ुद को पाक साफ़ बताने वाले शिवराज सिंह सीबीआई जांच में अगर बिना दाग के निकलते हैं, तो कांग्रेस के पास कुछ बोलने को नहीं रहेगा। फिर वो ये कर सकती है कि सीबीआई पर पक्षपात के बहाने वह मोदी सरकार को निशाने पर ले।
सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच को मंज़ूरी दी, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसे बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की नैतिक हार बताया, लेकिन कोर्ट का यही फ़ैसला शिवराज के लिए एक राजनीतिक जीवनदान भी लेकर आया है।
शिवराज पर इस्तीफ़े का जो दबाव बना था, मामला सीबीआई को सौंपे जाने के बाद से वह अब ख़त्म हो गया है। क्योंकि अगर अब कांग्रेस इस्तीफा मांगती है, तो शिवराज कहेंगे कि सीबीआई जांच चल रही है, मैं क्यों दूं इस्तीफा!
शिवराज सिंह सालों से सीबीआई जांच की मांग को ठुकराते आ रहे थे, लेकिन दिग्विजय सिंह अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर पहुंच गए, तो शिवराज भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की अर्ज़ी लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी विरोध नहीं किया। इससे हालात अब उल्टे हो गए हैं।
व्यापमं की जांच जब तक मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई एसटीएफ़ के हवाले थी, शिवराज पर लीपापोती के आरोप को लेकर नैतिक दबाव था। लगातार हो रही संदेहास्पद मौतों ने उनके लिए और राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर दी थी। अब दिग्विजय भी सीधे तौर पर उनसे इस्तीफा नहीं मांग रहे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह से जब एनडीटीवी इंडिया ने पूछा कि अब भी क्या आप कठोर शब्दों में शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफ़ा मांग रहे हैं? दिग्विजय ने जवाब दिया, कांग्रेस मांग रही है, तो मैं भी पार्टी के साथ खड़ा हूं।
अब सारा दारोमदार सीबीआई पर है कि वो व्यापमं की कितनी गहराई में जाकर कितनी बड़ी मछलियों तक पहुंच पाती है या फिर ऊपर-ऊपर पानी मार कर निकल जाती है। सीबीआई जांच में जो निकल कर आएगा और जब भी निकल कर आएगा तब आएगा, लेकिन ये तो तय है कि फ़िलहाल शिवराज का सीएम पद नहीं जाएगा।
ख़ुद को पाक साफ़ बताने वाले शिवराज सिंह सीबीआई जांच में अगर बिना दाग के निकलते हैं, तो कांग्रेस के पास कुछ बोलने को नहीं रहेगा। फिर वो ये कर सकती है कि सीबीआई पर पक्षपात के बहाने वह मोदी सरकार को निशाने पर ले।
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