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This Article is From Jun 29, 2021

कोविड पीड़ि‍तों के लावारिस शवों का अंतिम संस्‍कार कर रहा एक स्‍वैच्छिक संगठन

ऐसे समय जब कई बार कोविड-19 पीड़ितों के परिवार के सदस्‍य ही संक्रमण के डर के कारण उनके शव को लेने को तैयार नहीं होते, सामाजिक कार्यकर्ता उनके अंतिम संस्‍कार के लिए आगे आए हैं.

मुंबई:

कहा जाता है कि बुरा वक्‍त ही रिश्‍तों की सच्‍ची पहचान करता है. कोविड-19 महामारी इस लिहाज से हर किसी का 'टेस्‍ट' ले रही है. मुंबई स्थित पूर्व पत्रकार इकबाल ममदानी इस कठिन वक्‍त में, कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले मरीजों के अंतिम संस्‍कार के लिए आगे आए हैं. इसकी शुरुआत अपने ही समुदाय के शवों के साथ हुई, लेकिन बाद में इकबाल ने जरूरत को देखते हुए, हर धर्म के लोगों के शवों का अंतिम संस्‍कार करना शुरू कर दिया. 51 वर्ष के इकबाल अब एक तरह से लावारिश शवों के 'मुक्तिदाता' बन गए हैं. वे और उनके साथी अब तक मुंबई में करीब 1400 शवों का अं‍तिम संस्‍कार कर चुके हैं, इसमें से लगभग 800 हिंदू हैं और 600 मुस्लिम. 

ममदानी ट्रस्‍ट का संचालन करने वाले इकबाल ममदानी ने NDTV को बताया, 'जब हमने काम शुरू किया तो हम मुस्लिमों के शवों को कब्रिस्‍तान तक लेकर जाते थे. लेकिन जब हमने कब्रिस्‍तान जाना शुरू किया कि तो पता चला कि 'साइनकार्ड' वाले ऐसे कई शव हैं जिन्‍हें दफनाने वाला कोई नहीं है. इस स्थिति में हमने यह भी देखा कि पिता अपने बेटे के शव को लेने के लिए तैयार नहीं है, बेटा अपने अभिभावकों के शव को स्‍वीकार करने के लिए इच्‍छुक नहीं है, ऐसे में हमने डॉक्‍टरों से बात की और कहा कि यदि आप इजाजत देते है तो धर्म की परवाह किए बिना हम ऐसे शवों का अंतिम संस्‍कार रीतिरिवाजों के अनुसार करने के लिए तैयार हैं. हमारे पास एक टीम भी है.'  

इकबाल और उनकी टीम इस बात का पूरा ध्‍यान रखती है कि ऐसे मृतकों का अंतिम संस्‍कार, उनके धर्म के अनुसार ही किया जाए. इस अभियान को सहयोग प्रदान करने के उद्देश्‍य से जस्‍ट स्‍माइल फाउंडेशन ने आगे आकर ममदानी से हाथ मिलाया है. जस्‍ट स्‍माइल फाउंडेशन के मेहुल विठलानी कहते हैं, 'केवल एक ही भावना थी कि शवों का अंतिम संस्‍कार, उनके धार्मिक रीतिरिवाजों के अनुसार हो ताकि इनकी आगे की या‍त्रा शांतिपूर्ण हो.'

कोरोना की दूसरी लहर के बाद लोगों का डर अब कुछ कम हुआ है और लॉकडाउन प्रतिबंधों में रियायत दी गई है लेकिन मुर्दाघरों में पड़ी लावारिस लाशें अभी भी समस्‍या हैं, ऐसे में इकबाल ममदानी की टीम, मुंबई पुलिस के बोझ को कम करने में व्‍यस्‍त है. ममदानी कहते हैं, 'हमने मुंबई पुलिस के ज्‍वॉइंट कमिश्‍नर (लॉ एंड ऑर्डर) विश्‍वास नागरे पाटिल से बात की. पुलिस के पास जो डेटा था वह काफी बड़ा था. उन्‍हें हमने एक लेटर दिया जिसमें कहा गया कि ममदानी हेल्‍थ एंड चेरिटेबल ट्रस्‍ट अपनी टीम के साथ मुंबई पुलिस की पूरी मदद करेगा और लावारिस शवों की देखभाल करेगा. तब से हम लावारिस शवों का उनके रीतिरिवाजों के अनुसार अंतिम संस्‍कार कर रहे हैं.' 

लॉटोलैंड आज का सितारा श्रृंखला में हम आम लोगों और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जानकारी देते हैं. लॉटोलैंड इकबाल ममदानी के कार्य के लिए एक लाख रुपये की सहायता प्रदान करेगा.

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