अमिताभ ठाकुर और मुलायम सिंह (फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर एक आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को मोबाइल फोन धमकाने का आरोप और इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा आईपीएस अफसर को निलंबित किए जाने तथा उनके खिलाफ तरह-तरह के मुकदमे दर्ज कराकर ताबड़तोड़ जांच की घटनाओं पर लघु-फिल्म बनने जा रही है। डार्क लाइट फिल्म्स द्वारा बनाई जा रही इस फिल्म के निर्देशक संदीप दुबे हैं।
सेंसर बोर्ड से फिल्म पास होने का इंतजार
इस फिल्म में सियासत के घिनौने रूप से जनता को रूबरू कराने की कोशिश की जाएगी, बशर्ते यह फिल्म सेंसर बोर्ड से पास हो जाए और सरकार इसे उत्तर प्रदेश के सिनेमाघरों में दिखाने की इजाजत देने की उदारता दिखाए। डार्क लाइट फिल्म्स के अनुसार, यह फिल्म लगभग तीस मिनट की होगी, जिसमें आईपीएस अमिताभ की सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त को दी गई शिकायत के बाद की घटनाओं और इसकी पृष्ठभूमि में मुलायम सिंह द्वारा दी गई धमकी और उसके बाद से अमिताभ और नूतन के साथ घट रही घटनाओं को सिनेमाई अंदाज में पेश किया जाएगा।
'घिनौने चेहरे' को दिखाए जाने की कोशिश
निर्देशक संदीप ने कहा कि इस फिल्म में मुख्य रूप से मौजूदा व्यवस्था के उस 'घिनौने चेहरे' को दिखाए जाने की कोशिश है, जो सच्चाई को दबाने के लिए तरह-तरह के पैंतरे अपनाता है। फिल्म में इस तरह की लड़ाइयों में हर कदम में आने वाली बाधाओं और इन लड़ाइयों को जारी रखने की आतंरिक प्रेरणा को सामने लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी यह फिल्म लोगों को यह प्रेरणा देगी कि सच्चाई की लड़ाई में तमाम कठिनाइयों के बाद भी हौसला नहीं हारना चाहिए, डटकर मुकाबला करेंगे तो सच्चाई की जीत जरूर होगी।
सेंसर बोर्ड से फिल्म पास होने का इंतजार
इस फिल्म में सियासत के घिनौने रूप से जनता को रूबरू कराने की कोशिश की जाएगी, बशर्ते यह फिल्म सेंसर बोर्ड से पास हो जाए और सरकार इसे उत्तर प्रदेश के सिनेमाघरों में दिखाने की इजाजत देने की उदारता दिखाए। डार्क लाइट फिल्म्स के अनुसार, यह फिल्म लगभग तीस मिनट की होगी, जिसमें आईपीएस अमिताभ की सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त को दी गई शिकायत के बाद की घटनाओं और इसकी पृष्ठभूमि में मुलायम सिंह द्वारा दी गई धमकी और उसके बाद से अमिताभ और नूतन के साथ घट रही घटनाओं को सिनेमाई अंदाज में पेश किया जाएगा।
'घिनौने चेहरे' को दिखाए जाने की कोशिश
निर्देशक संदीप ने कहा कि इस फिल्म में मुख्य रूप से मौजूदा व्यवस्था के उस 'घिनौने चेहरे' को दिखाए जाने की कोशिश है, जो सच्चाई को दबाने के लिए तरह-तरह के पैंतरे अपनाता है। फिल्म में इस तरह की लड़ाइयों में हर कदम में आने वाली बाधाओं और इन लड़ाइयों को जारी रखने की आतंरिक प्रेरणा को सामने लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी यह फिल्म लोगों को यह प्रेरणा देगी कि सच्चाई की लड़ाई में तमाम कठिनाइयों के बाद भी हौसला नहीं हारना चाहिए, डटकर मुकाबला करेंगे तो सच्चाई की जीत जरूर होगी।
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