चंडीगढ़:
पंजाब के जेल प्रशासन ने राज्य की पूर्व कैबिनेट मंत्री जागीर कौर की जेल में विशिष्ट खातिरदारी करने के बाद अब उन्हें दी जा रही विशेष सुख-सुविधाओं की जांच के आदेश दिए हैं।
पंजाब के पुलिस महानिदेशक (कारागार) शशिकांत ने यहां मंगलवार को मीडिया को बताया कि उन्होंने कपूरथला जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है और वह एक वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंप रहे हैं।
शशिकांत ने कहा, "मैंने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है और मैं स्थिति का जायजा लेने के लिए एक महानिरीक्षक (आईजी) को वहां भेज रहा हूं।"
ज्ञात हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के चंद घंटों बाद ही अपने गृह जनपद कपूरथला स्थित जेल स्थानांतरित की गई बीवी जागीर कौर जेल के अंदर भी वीआईपी जैसी सुख-सुविधाएं भोग रही हैं।
पटियाला और कपूरथला की जेल से सामने आए वीडियो फुटेज में वीआईपी सुख-सुविधा का लाभ लेते साफ दिखाई देने के बावजूद शशिकांत दावा करते हैं कि वह वीआईपी कैदी नहीं हैं। कौर को दी जा रही वीआईपी सुविधाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह अन्य सामान्य कैदियों की ही तरह हैं।"
शशिकांत ने कहा, "यदि जेल अधीक्षक जागीर कौर को वीआईपी सुविधाएं देने में जेल प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना होगा। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो किसी को बख्श दे।"
जागीर कौर को जहां एक ओर तमाम मुलाकातियों से मिलने की छूट है, वहीं जेल और पुलिस अधिकारी उनके पैर छू रहे हैं। उनसे मुलाकात करने वालों में राज्य के मंत्री, विधायक और अकाली दल के पदाधिकारी शामिल हैं।
यही नहीं उन्हें वातानुकूलित टोयोटा इनोवा गाड़ी से पटियाला केंद्रीय कारागार से पुलिस की सुरक्षा के बीच इस तरह कपूरथला केंद्रीय कारागार ले जाया गया जैसे लगा कि किसी मंत्री का काफिला जा रहा हो।
जिस जेल में उन्हें पांच वर्ष सश्रम कारावास काटना था, वहां उन्हें प्रतीक्षा कक्ष में मुलाकातियों, समर्थकों से मुलाकात करने की छूट है। फिलहाल वह अस्थायी जेलनुमा अस्पताल में हैं, क्योंकि उनका रक्तचाप बहुत बढ़ गया है।
जेल सूत्रों ने आरोप लगाया कि उनके करीबी पारिवारिक सदस्यों को जेल के अंदर जाने की पूरी छूट है और वह घर का पका भोजन, मोबाइल फोन और अन्य सभी सुविधाएं उठा रही हैं।
मंगलवार को एक अखबार में प्रकाशित रपट में कहा गया था कि जेल के अंदर कौर के मनोरंजन के लिए 32 इंच की एलसीडी टीवी डीटीएच कनेक्शन के साथ लगाई जा रही है। जबकि डीजीपी ने कहा है कि ऐसा जेल के अंदर रहने वाले एक कर्मचारी के लिए किया जा रहा है।
जागीर कौर को शुक्रवार को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। उन्हें अप्रैल 2000 में हुई अपनी ही बेटी की हत्या की साजिश में संलिप्त होने का दोषी पाया गया है।
जागीर को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (षड्यंत्र), धारा 313 (महिला की सहमति के बगैर जबरन उसका गर्भपात कराने), धारा 344 (गलत तरीके से 10 दिन या इससे अधिक समय तक बंधक बनाए रखने) और धारा 365 (व्यक्ति को बंधक बनाने के उद्देश्य से गुपचुप तरीके से उसका अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया है।
बादल सरकार में ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता मामलों की मंत्री जगीर कौर को अदालत के फैसले के बाद अपना पद भी गंवाना पड़ा।
ज्ञात हो कि जगीर कौर की बेटी हरप्रीत कौर की 20 अप्रैल, 2000 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। उसके शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था।
हरप्रीत ने निचली जाति के युवक कमलजीत सिंह से गुपचुप विवाह कर लिया था, जिससे उसकी मां जगीर और परिवार के अन्य सदस्य नाराज थे।
कमलजीत ने अपनी पत्नी हरप्रीत की हत्या का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय से मामले की जांच की गुहार लगाई थी। उसका आरोप था कि हरप्रीत मौत के वक्त छह माह की गर्भवती थी। उसकी हत्या उसकी मां के इशारे पर की गई।
पंजाब के पुलिस महानिदेशक (कारागार) शशिकांत ने यहां मंगलवार को मीडिया को बताया कि उन्होंने कपूरथला जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है और वह एक वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंप रहे हैं।
शशिकांत ने कहा, "मैंने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है और मैं स्थिति का जायजा लेने के लिए एक महानिरीक्षक (आईजी) को वहां भेज रहा हूं।"
ज्ञात हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के चंद घंटों बाद ही अपने गृह जनपद कपूरथला स्थित जेल स्थानांतरित की गई बीवी जागीर कौर जेल के अंदर भी वीआईपी जैसी सुख-सुविधाएं भोग रही हैं।
पटियाला और कपूरथला की जेल से सामने आए वीडियो फुटेज में वीआईपी सुख-सुविधा का लाभ लेते साफ दिखाई देने के बावजूद शशिकांत दावा करते हैं कि वह वीआईपी कैदी नहीं हैं। कौर को दी जा रही वीआईपी सुविधाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह अन्य सामान्य कैदियों की ही तरह हैं।"
शशिकांत ने कहा, "यदि जेल अधीक्षक जागीर कौर को वीआईपी सुविधाएं देने में जेल प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना होगा। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो किसी को बख्श दे।"
जागीर कौर को जहां एक ओर तमाम मुलाकातियों से मिलने की छूट है, वहीं जेल और पुलिस अधिकारी उनके पैर छू रहे हैं। उनसे मुलाकात करने वालों में राज्य के मंत्री, विधायक और अकाली दल के पदाधिकारी शामिल हैं।
यही नहीं उन्हें वातानुकूलित टोयोटा इनोवा गाड़ी से पटियाला केंद्रीय कारागार से पुलिस की सुरक्षा के बीच इस तरह कपूरथला केंद्रीय कारागार ले जाया गया जैसे लगा कि किसी मंत्री का काफिला जा रहा हो।
जिस जेल में उन्हें पांच वर्ष सश्रम कारावास काटना था, वहां उन्हें प्रतीक्षा कक्ष में मुलाकातियों, समर्थकों से मुलाकात करने की छूट है। फिलहाल वह अस्थायी जेलनुमा अस्पताल में हैं, क्योंकि उनका रक्तचाप बहुत बढ़ गया है।
जेल सूत्रों ने आरोप लगाया कि उनके करीबी पारिवारिक सदस्यों को जेल के अंदर जाने की पूरी छूट है और वह घर का पका भोजन, मोबाइल फोन और अन्य सभी सुविधाएं उठा रही हैं।
मंगलवार को एक अखबार में प्रकाशित रपट में कहा गया था कि जेल के अंदर कौर के मनोरंजन के लिए 32 इंच की एलसीडी टीवी डीटीएच कनेक्शन के साथ लगाई जा रही है। जबकि डीजीपी ने कहा है कि ऐसा जेल के अंदर रहने वाले एक कर्मचारी के लिए किया जा रहा है।
जागीर कौर को शुक्रवार को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। उन्हें अप्रैल 2000 में हुई अपनी ही बेटी की हत्या की साजिश में संलिप्त होने का दोषी पाया गया है।
जागीर को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (षड्यंत्र), धारा 313 (महिला की सहमति के बगैर जबरन उसका गर्भपात कराने), धारा 344 (गलत तरीके से 10 दिन या इससे अधिक समय तक बंधक बनाए रखने) और धारा 365 (व्यक्ति को बंधक बनाने के उद्देश्य से गुपचुप तरीके से उसका अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया है।
बादल सरकार में ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता मामलों की मंत्री जगीर कौर को अदालत के फैसले के बाद अपना पद भी गंवाना पड़ा।
ज्ञात हो कि जगीर कौर की बेटी हरप्रीत कौर की 20 अप्रैल, 2000 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। उसके शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था।
हरप्रीत ने निचली जाति के युवक कमलजीत सिंह से गुपचुप विवाह कर लिया था, जिससे उसकी मां जगीर और परिवार के अन्य सदस्य नाराज थे।
कमलजीत ने अपनी पत्नी हरप्रीत की हत्या का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय से मामले की जांच की गुहार लगाई थी। उसका आरोप था कि हरप्रीत मौत के वक्त छह माह की गर्भवती थी। उसकी हत्या उसकी मां के इशारे पर की गई।