वाशिंगटन:
अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने अपनी भारत यात्रा से कुछ दिन पहले कहा है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रक्षा संबंध इतने प्रगाढ़ कभी नहीं रहे, जितने आज हैं.
कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रीगन नेशनल डिफेंस फोरम में अपने संबोधन में कार्टर ने कहा, "अमेरिका-भारत रक्षा संबंध अब तक के सबसे प्रगाढ़ संबंध हैं... पुन:संतुलन के लिए अमेरिका के पश्चिम की ओर बढ़ने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'एक्ट ईस्ट नीति' के मुताबिक भारत के पूर्व की ओर बढ़ने के साथ हमारी रणनीतिक भागीदारी के ज़रिये हमारे दोनों देश वायु, भूमि और समुद्र से मिलकर इस तरह अभ्यास कर रहे हैं, जिस तरह पहले कभी नहीं किया..."
कार्टर अगले सप्ताह भारत यात्रा पर आएंगे. निवर्तमान अमेरिकी रक्षामंत्री की अंतिम विदेश यात्राओं में जापान, भारत, इस्राइल, बहरीन, इटली और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं. कार्टर एशिया प्रशांत क्षेत्र से अपनी अंतिम विदेश यात्राएं शुरू कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हमने तकनीकी स्तर पर भी हाथ मिलाया है, जिसमें अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल या डीटीटीआई का प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान से हाथ मिलाया गया है... इससे हमारे देशों को शस्त्र प्रणालियों के और अधिक विविधतापूर्ण सह-विकास और सह-उत्पादन की ओर बढ़ने में मदद मिल रही है..."
कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रीगन नेशनल डिफेंस फोरम में अपने संबोधन में कार्टर ने कहा, "अमेरिका-भारत रक्षा संबंध अब तक के सबसे प्रगाढ़ संबंध हैं... पुन:संतुलन के लिए अमेरिका के पश्चिम की ओर बढ़ने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'एक्ट ईस्ट नीति' के मुताबिक भारत के पूर्व की ओर बढ़ने के साथ हमारी रणनीतिक भागीदारी के ज़रिये हमारे दोनों देश वायु, भूमि और समुद्र से मिलकर इस तरह अभ्यास कर रहे हैं, जिस तरह पहले कभी नहीं किया..."
कार्टर अगले सप्ताह भारत यात्रा पर आएंगे. निवर्तमान अमेरिकी रक्षामंत्री की अंतिम विदेश यात्राओं में जापान, भारत, इस्राइल, बहरीन, इटली और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं. कार्टर एशिया प्रशांत क्षेत्र से अपनी अंतिम विदेश यात्राएं शुरू कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हमने तकनीकी स्तर पर भी हाथ मिलाया है, जिसमें अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल या डीटीटीआई का प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान से हाथ मिलाया गया है... इससे हमारे देशों को शस्त्र प्रणालियों के और अधिक विविधतापूर्ण सह-विकास और सह-उत्पादन की ओर बढ़ने में मदद मिल रही है..."
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