भारत में बने अत्याधुनिक तारपीडो 'वरुणास्त्र' को रक्षामंत्री ने नौसेना को सौंपा

भारत में बने अत्याधुनिक तारपीडो 'वरुणास्त्र' को रक्षामंत्री ने नौसेना को सौंपा

नौसेना को वरुणास्त्र सौंपते रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर।

नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने आज अत्याधुनिक तारपीडो वरुणास्त्र को नौसेना को सौंप दिया। डीआरडीओ की लैब में विकसित यह तारपीडो समुद्र के अंदर 40 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन की पनडुब्बी या पोत पर हमला कर उसे ध्वस्त कर सकता है। स्वदेशी हथियारों के निर्माण की दिशा में वरुणास्त्र को देश की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

हालिया परीक्षणों में यह तारपीडो समुद्र में सैकड़ों किलोमीटर दूर तक मार करने में सफल रहा है। पनडुब्बियों के अलावा इसको कई जंगी पोतों में भी फिट किया जा सकता है। जिनसे वार कर यह दूसरे जंगी पोतों को नष्ट कर सकता है।

वरुणास्त्र एक हैवीवेट और एडवांस तारपीडो है। इससे पहले डीआरडीओ की ओर से विकसित तारपीडो हल्के थे और कम दूरी तक मार करने वाले थे।


नौसेना में शामिल होकर यह तारपीडो दिल्ली, कोलकाता और कमोर्ता श्रेणी के युद्धपोतों में फिट किया जाएगा। हालांकि इस तारपीडो की मारक क्षमता का आधिकारिक तौर पर कोई खुलासा नहीं किया गया है।

वरुणास्त्र को बनाने में डीआरडीओ की मदद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने भी की है। हाल में बंगाल की खाड़ी में इसके कई सफल परीक्षण हुए हैं। वरुणास्त्र शॉक, कंपन, तापमान और समुद्री वातावरण में किये जाने वाले परीक्षणों में पूरी तरह सफल रहा है। यह हथियार युद्ध के दौरान पैदा होने वाली कई स्थितियों के अनुकूल है।  

इस दौरान रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने डीआरडीओ की तारीफ की लेकिन साथ ही कई नसीहतें भी दे डालीं। परिकर ने कहा कि वो चाहते हैं कि डीआरडीओ इस हथियार की गुणवत्ता का ख़ास खयाल रखे। क्योंकि अगर इसको दूसरे देशों को निर्यात किया जाना है तो उसके लिये इसकी क्वालिटी अंतर्राष्ट्रीय दर्जे की होनी ज़रूरी है। परिकर ने कहा कि किसी बच्चे को जन्म देना भर पर्याप्त नहीं है बल्कि उसे कुछ कदम चलना भी सिखाना ज़रूरी है।

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