
भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने शुक्रवार को अरब सागर में एक नवल एक्सरसाइज के दौरान एंटी-शिप मिसाइल (AshM) लॉन्च की. नेवी ने बताया कि मिसाइल ढोने वाले युद्धपोत INS प्रबल ने शुक्रवार को एक पुराने गोदावरी क्लास के डी-कमीशंड जहाज को निशाना बनाते हुए एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की. निशाना इतना सटीक था कि टारगेट शिप समुद्र में डूब गई. नेवी ने बताया कि 'मिसाइल ने घातक सटीकता से अपने मैक्सिम रेंज में टारगेट को निशाना बनाया.' बता दें कि INS प्रबल पर 16 रूस निर्मित KH-35 'Uran' एंटी-शिप मिसाइल तैनात हैं. इनकी अनुमानित क्षमता 130 किलोमीटर तक की है.
The anti-ship missile (AShM) launched by Indian Navy Missile Corvette #INSPrabal, homes on with deadly accuracy at max range, sinking target ship: Indian Navy pic.twitter.com/kXOQceSaNO
— ANI (@ANI) October 23, 2020
नौसेना के स्वदेश निर्मित गोदावरी क्लास के युद्धपोत को 1983 में नौसेना में शामिल किया गया था. इस क्लास के तीन पोत बनाए गए थे. इसमें स्वदेशी युद्धपोत के डिजाइन के साथ रूसी और पश्चिमी वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था. इस क्लास के दो पोतों पहली गोदावरी को 2015 और दूसरे सेकेंड क्लास के पोत गंगा को 2018 में डी-कमीशन कर दिया गया था.
बता दें कि पिछले कुछ वक्त में भारतीय रक्षा बलों ने कई मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है. इसके पहले रविवार को नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया गया था. इस मिसाइल को INS चेन्नई विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेदा था.
पिछले कुछ सप्ताह में भारत ने कई मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिनमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 शामिल हैं. भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया है. रूद्रम-1 भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है. 30 सितंबर को ब्रह्मोस के सतह से सतह पर मार करने वाले नए प्रारूप का सफल परीक्षण किया था. इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ाकर 400 किमी की दूरी तक की गई है.
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इसके अलावा अभी गुरुवार को ही राजस्थान के पोखरण में तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल 'नाग' का अंतिम परीक्षण किया. अब यह मिसाइल प्रोडक्शन के लिए तैयार है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यह मिसाइल विकसित की है, जो दिन और रात दोनों समय दुश्मन टैंकों से भिड़ने में सक्षम है.
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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