7 इंजीनियरों को अगवा करने के पीछे तालिबान पर शक जताया जा रहा है
नई दिल्ली:
अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत से अगवा कर लिए सात भारतीय इंजीनियरों को छुड़ाने के लिये भारत सरकार ने कोशिश जोर-शोर से शुरू कर दी है. विदेश मंत्रालय ने खबर की पुष्टि करते हुये कहा है कि वो अफगानिस्तान के अधिकारियों से संपर्क में है और जानकारी जुटाने की कोशिश जारी है. हालांकि अभी तक किसी संगठन ने इस अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली है. आपको बता दें कि ये सभी इंजीनियर उत्तरी बाग़लान प्रांत में एक पावर प्लांट में काम कर रहे थे. इंजीनियर एक निजी कंपनी केईसी से जुड़े हुए थे जो इस पावर प्लांट में काम कर रही थी. इस कंपनी को 2013 में चिमताला और काबुल के बीच 220 KV का पावर ट्रांसमिशन लाइन बनाने का ठेका मिला था.
अफगानिस्तान : तालिबानियों का पुलिस थाने पर हमला, दो पुलिसर्मियों सहित 3 आतंकियों की मौत
इस पावर प्लांट पर तालिबानी पहले भी कई बार निशाना भी बना चुके हैं. स्थानीय अफ़ग़ान अधिकारी इस अपहरण के लिए तालिबान को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. हांलाकि इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान में आईएसआईएस समेत कई छोटे-बड़े आतंकी संगठन सक्रिय हैं इसलिए भारत को इन नागरिकों की संकुल वापसी के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा.
वीडियो : क्या फिर मजबूत हो रहा है तालिबान
इससे पहले 2014 में कैथोलिक प्रीस्ट फ़ादर ऐलेक्सिस प्रेम कुमार को हेरात से अगवा कर लिया गया था और साल 2015 में छोड़ा गया था. वहीं आगा खान फ़ाउंडेशन में काम करने वाली वर्कर जूडिथ डिसूज़ा को साल 2016 में काबुल से अगवा किया गया था और उन्हें एक महीने में छुड़ा लिया गया था.
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इस पावर प्लांट पर तालिबानी पहले भी कई बार निशाना भी बना चुके हैं. स्थानीय अफ़ग़ान अधिकारी इस अपहरण के लिए तालिबान को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. हांलाकि इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान में आईएसआईएस समेत कई छोटे-बड़े आतंकी संगठन सक्रिय हैं इसलिए भारत को इन नागरिकों की संकुल वापसी के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा.
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इससे पहले 2014 में कैथोलिक प्रीस्ट फ़ादर ऐलेक्सिस प्रेम कुमार को हेरात से अगवा कर लिया गया था और साल 2015 में छोड़ा गया था. वहीं आगा खान फ़ाउंडेशन में काम करने वाली वर्कर जूडिथ डिसूज़ा को साल 2016 में काबुल से अगवा किया गया था और उन्हें एक महीने में छुड़ा लिया गया था.
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