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This Article is From Oct 01, 2015

शांति के चार सूत्र नहीं, एक सूत्र काफी- आतंकवाद छोड़िए : UN में सुषमा का शरीफ को जवाब

शांति के चार सूत्र नहीं, एक सूत्र काफी- आतंकवाद छोड़िए : UN में सुषमा का शरीफ को जवाब
संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
नई दिल्ली: शांति के लिए पाकिस्तान के चार सूत्री फार्मूले को नकारते हुए भारत ने आज कहा कि वह हर मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है, अगर पड़ोसी देश अपने यहां से पैदा हो रहे आतंकववाद को खत्म करने के एक सूत्र का समाधान कर दे।

साथ ही भारत ने समस्या के हल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय बातचीत का भी प्रस्ताव दिया।

सुषमा ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान से पैदा हो रहा आतंकवाद द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य होने में बाधक है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि ‘‘बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।’’ विदेश मंत्री ने 193 सदस्यीय निकाय में दिये अपने संबोधन में कहा ‘‘कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने चार सूत्री नई शांति पहल कहा था। मैं जवाब देना चाहूंगी। हमें चार सूत्रों की जरूरत नहीं है। हमें सिर्फ एक ही चाहिए... आतंकवाद को त्याग दें और बैठ कर बातचीत करें।’’ उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई में उफा दोनों प्रधानमंत्रियों ने जो चर्चा की थी और जो फैसला हुआ था वह यही था।

संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भाषण दिया। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र का पूरा समर्थन करेगा। हम 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने जा रहे हैं। किसी के भी जीवन में 70 वर्ष अच्छा पड़ाव होता है। इस समय में क्या हमने पाया, क्या हमने खोया। संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया क्या नहीं किया।

विश्व को तीसरे युद्ध से बचाने के लिए, रंगभेद हटाने, गरीबी दूर करने के लिए, लोकतंत्र को बढ़ाने में यूएन ने सफलता हासिल की है। लेकिन तमाम स्थानों पर जारी संघर्ष शांत नहीं कर पाए। तमाम जगहों पर लोग मर रहे हैं। इन जगहों पर शांति लाने में विफल रहा है यूएन।

नीले झंडे के तले तमाम लोग काम कर रहे हैं। एक लाख 80 हजार शांति सैनिक भारत ने उपलब्ध कराए हैं। आठ हजार तो काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति में काम कर रहे हैं। हम अपना योगदान बढ़ाने को तैयार हैं। हम ट्रेनिंग उपलब्ध कराने के लिए भी तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि तमाम राष्ट्र जो इस मिशन में अहम भूमिका निभा रहे हैं उनकी निर्णय प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है। शहीदों की याद में स्मारक बनाने में भारत योगदान देने को तैयार है। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। न्यूयॉर्क में भी आतंकी हमला हुआ। तब से आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं,  लेकिन इन्हें पालने वाले राष्ट्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।

विश्व को दिखाना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। जो राष्ट्र आतंकियों की मदद करते हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सन 1996 में भारत ने एक प्रस्ताव दिया था लेकिन उस पर अभी तक आतंकावाद की परिभाषा तय नहीं हो पाई है।

आतंकवाद को कोई वैध हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता है। मुंबई हमले के योजनाकार सरेआम घूम रहे हैं। सीमा पार से भारत में हमले हुए हैं और दो जिंदा आतंकी पकड़े गए हैं। यह आतंकी हमले पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा है ताकि कश्मीर पर कब्जा वैध हो सके।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में 26 नवंबर को मुंबई में हुए हमले के षड्यंत्रकारियों का जिक्र किया जो पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं। सुषमा ने विश्व समुदाय पर यह सुनिश्चित करने के लिए जोर डाला कि आतंकवादियों को वित्तीय मदद, सुरक्षित पनाहगाह और हथियार मुहैया कराने वाले देश ‘‘भारी कीमत चुकाएं।’’

विश्व संस्था में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के एक दिन बाद भारतीय विदेश मंत्री ने इसी मंच का उपयोग भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान द्वारा अवैध अतिक्रमण किए जाने का मुद्दा उठाने के लिए किया और कहा कि वहां से होने वाले आतंकी हमलों के षड्यंत्र उसे वैध बनाने के लिए रचे जाते हैं।

पढ़िए अन्य बातें :
  • नवाज को साफ संदेश, आतंकवाद छोड़िए और बात करिए।
  • सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए डीजीएमओ बैठक और आतंकवाद पर एनएसए की वार्ता होगी। समझौता यही हुआ था।
  • भारत द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन आतंकवाद की गतिविधियों पर रोक लगे।
  • सामाजिक बदलाव के लिए लड़कियों को सक्षम बनाया जाए। भारत में इसके लिए योजना लागू की गई है।
  • जलवायु परिवर्तन पर समझौता हो, इस ओर संयुक्त प्रयास होना चाहिए।
  • हमें देखना है कि अनावश्यक खपत को कम करना होगा।
  • विकासशील देश इस दिशा में ज्यादा प्रयास कर सकते हैं। उन्हें मदद दी जाए, तकनीक दी जाए तो वह भी सहयोग कर सकते हैं।
  • पर्यावरण के प्रति भारत हमेशा से जागरूग रहा है। इसी वजह से योग दिवस भी मनाया गया। इसमें अनेक देशों ने काफी सहयोग दिया।
  • हम संयुक्त प्रयासों से कई गंभीर बीमारियों पर नियंत्रित कर पाए हैं।
  • स्वास्थ्य संकटों की तरह प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भी हमें संयुक्त प्रयास करने चाहिए। इसके लिए राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ इच्छाशक्ति की जरूरत है। भारत ने पड़ोसी देश में त्वरित सहायता उपलब्ध कराई है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब से कार्यभार संभाला है तब से भारत प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। सबका साथ, सबका विकास मूल मंत्र है।
(इनपुट एजेंसियों से भी)

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