विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉमपेओ
नई दिल्ली:
साल के सबसे बड़े कूटनीति कार्यक्रम में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण दिल्ली में अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉमपेओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस के साथ मुलाकात करेगी. इस बैठक में बाक़ी अहम सुरक्षा और रणनीतिक मसलों के अलावा रूस से हथियार खरीद और इरान से तेल का आयात एजेंडे पर रहेगा.
रूस से भारत ने रक्षा के लिए अहम S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम के लिए चालीस हज़ार करोड़ की डील की है, लेकिन रूस से हथियार ख़रीद पर अमेरिकी प्रतिबंध अब भारत के लिए बड़ी चुनौती है और कोशिश ये है कि भारत को इस प्रतिबंध से छूट मिल जाए. सूत्रों के मुताबिक, भारत मानता है कि अमेरिका से भी कई बड़े हथियार सौदे हुए हैं और सहभागिता की उम्मीद है. ऐसे में ये असंभव नहीं कि दिल्ली में हो रहे 2 + 2 डायलॉग में अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉमपेओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस कुछ छूट पर बात करें.
टू प्लस टू वार्ता : भारत और अमेरिका के बीच इन अहम मुद्दों पर होगी बातचीत
रक्षा विशेषज्ञ पी के सहगल ने कहा कि अमेरिका को मानना पड़ेगा क्योंकि भारत उभरती हुई महाशक्ति है. खासकर चीन के संदर्भ में. लेकिन टू प्लस टू बैठक में चुनौती इरान से आयात होने वाले कच्चे तेल की भी है. इरान के साथ न्यूक्लिअर समझौते से अमेरिका बाहर निकल चुका है और उसके साथ व्यापार करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध की बात कर चुका है. भारत का 25 फ़ीसदी कच्चा तेल वहीं से आयात होता है.
टू प्लस टू वार्ता : रूस के साथ एस-400 सौदे के बारे में भारत अमेरिका को बताएगा
रूस और इरान ये दोनों इस टू प्लस टू बैठक के सबसे कठिन निगोशिएशन होंगे ये तो निश्चित है लेकि ये भी सच है कि ट्रंप प्रशासन में कूटनीति में भी बात घुमा फिराकर नहीं की जा रही. समस्या साफ है और ये भी कि भारत सुरक्षा, रणनीति और ख़ास कर चीन के संदर्भ में अमेरिकी रणनीति का कितना बड़ा हिस्सा होता है ये कई चीज़ें तय करेगा.
भारत के अंगने में चीन का क्या काम?
बैठक में ये मुद्दे होंगे अहम
- मंत्रियों के बीच हॉटलाइन
- दोनों देशों की सेनाओं के बीच जानकारी का आदान प्रदान (COMCASA)
- आईएसएस के ख़िलाफ़ युद्ध में भारत की भागीदारी
- पाकिस्तान से चल रहे आतंक पर बात होगी
- असल चुनौती चीन, इरान और रूस के साथ सार्थक रिश्ते रखते हुए अमेरिका से भी अच्छे रिश्ते रखने की है.
रूस से भारत ने रक्षा के लिए अहम S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम के लिए चालीस हज़ार करोड़ की डील की है, लेकिन रूस से हथियार ख़रीद पर अमेरिकी प्रतिबंध अब भारत के लिए बड़ी चुनौती है और कोशिश ये है कि भारत को इस प्रतिबंध से छूट मिल जाए. सूत्रों के मुताबिक, भारत मानता है कि अमेरिका से भी कई बड़े हथियार सौदे हुए हैं और सहभागिता की उम्मीद है. ऐसे में ये असंभव नहीं कि दिल्ली में हो रहे 2 + 2 डायलॉग में अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉमपेओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस कुछ छूट पर बात करें.
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रक्षा विशेषज्ञ पी के सहगल ने कहा कि अमेरिका को मानना पड़ेगा क्योंकि भारत उभरती हुई महाशक्ति है. खासकर चीन के संदर्भ में. लेकिन टू प्लस टू बैठक में चुनौती इरान से आयात होने वाले कच्चे तेल की भी है. इरान के साथ न्यूक्लिअर समझौते से अमेरिका बाहर निकल चुका है और उसके साथ व्यापार करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध की बात कर चुका है. भारत का 25 फ़ीसदी कच्चा तेल वहीं से आयात होता है.
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रूस और इरान ये दोनों इस टू प्लस टू बैठक के सबसे कठिन निगोशिएशन होंगे ये तो निश्चित है लेकि ये भी सच है कि ट्रंप प्रशासन में कूटनीति में भी बात घुमा फिराकर नहीं की जा रही. समस्या साफ है और ये भी कि भारत सुरक्षा, रणनीति और ख़ास कर चीन के संदर्भ में अमेरिकी रणनीति का कितना बड़ा हिस्सा होता है ये कई चीज़ें तय करेगा.
भारत के अंगने में चीन का क्या काम?
बैठक में ये मुद्दे होंगे अहम
- मंत्रियों के बीच हॉटलाइन
- दोनों देशों की सेनाओं के बीच जानकारी का आदान प्रदान (COMCASA)
- आईएसएस के ख़िलाफ़ युद्ध में भारत की भागीदारी
- पाकिस्तान से चल रहे आतंक पर बात होगी
- असल चुनौती चीन, इरान और रूस के साथ सार्थक रिश्ते रखते हुए अमेरिका से भी अच्छे रिश्ते रखने की है.
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