बालेश्वर (ओडिशा):
भारत ने ओडिशा के तट से अपनी इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया और द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक अहम उपलब्धि हासिल की. यह मिसाइल हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्म स्टार वार्स के हथियारों की याद ताजा कर देती है. यह बैलिस्टिक मिसाइल भारत पर परमाणु हमले के खतरे को कम करने की दिशा में कारगर साबित होगा. इस इंटरसेप्टर को आईटीआर के अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) से सुबह सात बजकर 45 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन के एक अधिकारी ने कहा कि ‘‘पीडीवी नामक यह अभियान पृथ्वी के वायुमंडल से 50 किमी ऊपर बाहरी वायुमंडल में स्थित लक्ष्यों के लिए है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पीडीवी इंटरसेप्टर और दो चरणों वाली लक्ष्य मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ.’’ लक्ष्य को दरअसल 2000 किमी से अधिक दूरी से आती शत्रु बैलिस्टिक मिसाइल के तौर पर विकसित किया. इसे बंगाल की खाड़ी में एक पोत से दागा गया.
एक स्वचालित अभियान के तहत रडार आधारित प्रणाली ने शत्रु की बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान कर ली. रडार से मिले आंकड़ों की मदद से कंप्यूटर नेटवर्क ने आ रही बैलिस्टिक मिसाइल का मार्ग पता लगा लिया. पीडीवी को पूरी तरह तैयार रखा गया था. कंप्यूटर सिस्टम से जरूरी निर्देश मिलते ही इसे छोड़ दिया गया. यह अहम दिशासूचक प्रणालियों की मदद से अवरोधन बिंदु तक पहुंच गई. सभी कार्यों का निरीक्षण विभिन्न स्थानों पर स्थित टेलीमीट्री: रेंज स्टेशनों ने तत्काल आधार पर किया.
डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परीक्षण के तहत सुबह 7.45 बजे भारत के पूर्वी समुद्र तट पर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी तरफ आ रहे एक मिसाइल को इंटरसेप्टर प्रौद्योगिकी वाले इस मिसाइल ने नष्ट कर दिया. यह मिसाइल और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सक्षम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में एक चुनाव रैली में कहा, "आज (शनिवार) हमारे वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मिसाइल का परीक्षण किया, जो आसमान में ही दुश्मन के मिसाइल को खत्म करने में सक्षम है. केवल चार या पांच देशों के पास यह क्षमता है." दो चरण का पीडीवी मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है. यह 80-120 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर सकता है. पूरी तरह स्वचालित इस प्रणाली में सेंसर, कंप्यूटर व लॉन्चर लगे हैं. यह दुश्मन के मिसाइल को ढूंढकर उन्हें आसमान में ही नष्ट करने में सक्षम है. यह पीडीवी का दूसरा परीक्षण था. यह इंटरसेप्टर मिसाइल परमाणु आयुध ढोने में सक्षम पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है.
उन्होंने कहा, ‘‘पीडीवी इंटरसेप्टर और दो चरणों वाली लक्ष्य मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ.’’ लक्ष्य को दरअसल 2000 किमी से अधिक दूरी से आती शत्रु बैलिस्टिक मिसाइल के तौर पर विकसित किया. इसे बंगाल की खाड़ी में एक पोत से दागा गया.
एक स्वचालित अभियान के तहत रडार आधारित प्रणाली ने शत्रु की बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान कर ली. रडार से मिले आंकड़ों की मदद से कंप्यूटर नेटवर्क ने आ रही बैलिस्टिक मिसाइल का मार्ग पता लगा लिया. पीडीवी को पूरी तरह तैयार रखा गया था. कंप्यूटर सिस्टम से जरूरी निर्देश मिलते ही इसे छोड़ दिया गया. यह अहम दिशासूचक प्रणालियों की मदद से अवरोधन बिंदु तक पहुंच गई. सभी कार्यों का निरीक्षण विभिन्न स्थानों पर स्थित टेलीमीट्री: रेंज स्टेशनों ने तत्काल आधार पर किया.
डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परीक्षण के तहत सुबह 7.45 बजे भारत के पूर्वी समुद्र तट पर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी तरफ आ रहे एक मिसाइल को इंटरसेप्टर प्रौद्योगिकी वाले इस मिसाइल ने नष्ट कर दिया. यह मिसाइल और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सक्षम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में एक चुनाव रैली में कहा, "आज (शनिवार) हमारे वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मिसाइल का परीक्षण किया, जो आसमान में ही दुश्मन के मिसाइल को खत्म करने में सक्षम है. केवल चार या पांच देशों के पास यह क्षमता है." दो चरण का पीडीवी मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है. यह 80-120 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर सकता है. पूरी तरह स्वचालित इस प्रणाली में सेंसर, कंप्यूटर व लॉन्चर लगे हैं. यह दुश्मन के मिसाइल को ढूंढकर उन्हें आसमान में ही नष्ट करने में सक्षम है. यह पीडीवी का दूसरा परीक्षण था. यह इंटरसेप्टर मिसाइल परमाणु आयुध ढोने में सक्षम पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है.
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