पृथ्वी 2 मिसाइल का सफल परीक्षण (प्रतीकात्मक फोटो)
बालेश्वर:
भारत ने देश में निर्मित एवं परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा में एक परीक्षण रेंज से शुक्रवार को सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. सेना ने इस्तेमाल के दौरान इसका परीक्षण किया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सतह से सतह पर मार करने में सक्षम और 350 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल का परीक्षण सुबह करीब नौ बजकर 50 मिनट पर यहां निकट स्थित चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के परिसर तीन से मोबाइल लॉन्चर के माध्यम से किया गया. उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण सफल रहा और मिशन के लक्ष्य पूरे हुए.
पृथ्वी-2 मिसाइल 500 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम वजनी आयुध ले जाने में सक्षम है और यह दो तरल प्रणोदन इंजनों से संचालित होती है. यह अपने लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाने के लिए अत्याधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल करती है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक वैज्ञानिक ने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल को परीक्षण के लिए उत्पादन भंडार से चुना गया और यह परीक्षण गतिविधियां विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने कीं और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पर नजर रखी.
सूत्रों ने कहा, मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर ओडिशा के तट के निकट स्थित टेलीमेट्री स्टेशनों, डीआरडीओ रडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम्स ने नजर रखी. बंगाल की खाड़ी में निर्धारित प्रभाव बिंदु के निकट तैनात पोत पर सवार टीम ने टर्मिनल गतिविधियों एवं मिसाइल के समुद्र में उतरने की निगरानी की.
इससे पहले 21 नवंबर 2016 को इसी जगह से दो पृथ्वी 2 मिसाइलों का एक के बाद एक परीक्षण किया गया था. इस नौ मीटर लंबी मिसाइल को वर्ष 2003 में भारतीय सशस्त्र बल में शामिल किया गया था. यह पहली ऐसी मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पृथ्वी-2 मिसाइल 500 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम वजनी आयुध ले जाने में सक्षम है और यह दो तरल प्रणोदन इंजनों से संचालित होती है. यह अपने लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाने के लिए अत्याधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल करती है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक वैज्ञानिक ने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल को परीक्षण के लिए उत्पादन भंडार से चुना गया और यह परीक्षण गतिविधियां विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने कीं और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पर नजर रखी.
सूत्रों ने कहा, मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर ओडिशा के तट के निकट स्थित टेलीमेट्री स्टेशनों, डीआरडीओ रडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम्स ने नजर रखी. बंगाल की खाड़ी में निर्धारित प्रभाव बिंदु के निकट तैनात पोत पर सवार टीम ने टर्मिनल गतिविधियों एवं मिसाइल के समुद्र में उतरने की निगरानी की.
इससे पहले 21 नवंबर 2016 को इसी जगह से दो पृथ्वी 2 मिसाइलों का एक के बाद एक परीक्षण किया गया था. इस नौ मीटर लंबी मिसाइल को वर्ष 2003 में भारतीय सशस्त्र बल में शामिल किया गया था. यह पहली ऐसी मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया है.
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